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________________ जाहि तिचार का लिजिन जन्ममादास वादिविष वृष्टि का रिवा वां गवती जगनोभाकादशिदोदश्शया व द्विकार्य का का मन तिमि कमिया पिकार नियामता देवे समाकादशिंदादवरायाशितर परिमापादावसाविति । तप । शिंतर परिसगादिवासह 7 विया ममाणाममिपरिसदास द्यावेत तपातममिप शिसावचन्नगादिवास हा वियासमा बादिरपरि सपादाव महाaalandaदिर परिसगा दवांसदा वियासमा बा दिरबादि रगादिवासात बाहिरबा दिया। दिवसा दिया समाया लिया गियादाव सावंतता सहा दिया समाणा बुद्दिकातपादावसावतात खटिकाश्या [दिवा महाविया समापा' बुढिकार्य पकार एवं गाय मासाकादशिंदे किंपनियांनं ते वरायाद्विकार्येणकार शिक्षणसुरमा राशिदता वहिका प्रकार ति देता कि क्यकार मानि तिथले खरऊमाशादयाहिका काम शमयर दंतात गवे ताप परिमाणमा दिमाखवा तिखमएम दिमाखवा पप्पा यमदिमा प्रवाप रिनिद्यामदिमाखवा पवंखलगाय मासुर अमाशादवा ढिकार्योपकारेति । पवेना गकमा राशि जामियकमा रावा सामंतर!! 98 ३४६
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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