________________
तर परंपरा शिगा ॐ या पदमं समाया पगाराचा स्मारयापदमसमाया वगा। ताश्या परे पारावारा विद तिसमाव पगारत तिरपरंपरा माता व प्रवदन्नगादिशप निरंतरंगावादमा नियात्राएं तातनिरतियां किंनर तियाग्यं पकार तितिशि रकमणम्मोदवायेपकारे विभागा। नोने शनि। marvari (तिने दवाउयं पकारे नि परंपाराaaनगालोतान रतिया किनेर तियाधयंधकार तिजावादवा व्यंपकारे ति) गाना र विद्यावयेपकारति। तिरिरकाजा।।। पियायेपिपकारं तिभिस्सा थे पिधकारेति नादिवार्थपाकर तितरपरंपरgar नगानोतने रतियां किचनर तियाग्यं । खच्चा गो नानर विद्या उपकारे विजाधाता दिवा उपकारेति एवंजावमा गिया। नवरंग विदियति रिस्क जो ॥ तत्र नितिन गया भस्माय परंपरा वनगावचा विद्या या इंप कार ति ममताचति रतिया गोलात कि तरं प्रत्यागतगमननितरं निप्र था। परंपरनिचया आणं तर परंपरानिया । । तेर तियागत नियया भिजावपरेप
नंतर समयादिका वृत्तानां समानांतर प्राज्ञा ना निधानं नियतीय कांति तव येषां नयननंतर नि नवाबांनरवृत्ताः साता विग्रहगतित्र शोचन तिश्वायन श्रनिचान
तू
समयो त्रीन ॥ परे परानिग या• तथा परंपारण समय पर परग्यानिग नानाप्राज्ञानां व्यादय समया नंतर परंपरा निग' तामुये नरका उत्पाद क्षेत्रासादयंतरज त्यादाचमाना