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उच्चारादितिः समुझाव या तिघा ॥१॥ मनात मानणगमताका विरुपत्र करी• ऊहह स.विशाकरी पूर्ण राय • मृत्यु कनानीपरि सास मृतक ना गंध नी सास निश्वासक कारीब ला कन शायद कालसा• लघुवा कलमला हिया • जिदी मन नकल मलाई
सिश्करी स्थान
परिकलिश लब्रेक
श्रीकृष्णाना लानी प
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संगती वाखिला सर्वाखका सवाया पिया सदा । चाशपण सखल सिंघा गयंत पिवश्यकासा । स् यसमा मात्र श्रीसम्मा मय गंधस्मा संयल निम्मास उद्देगा बीस कई करो रवरूप आपका लिया सगा कलमला दियास जरका वसा दारणा परि काल सकिन सरकार का - गवादिक मशाखदास विद्यामदासानगर दहापि शांत संसाराकडुन फल विवागडा ३ चुडली. बल लिमञ्चमा डरका एबं क्षिण सिद्विग। म विग्वासास एति मया का नही करे अगम्यापकाचा मिम याता जावप छात्र। वपतमा लिखति संवैधान न यऊमागे शंमा पियारा एवंवदा सिशमातज्ञा याय काय काय उपयोग एख बहदिश - पीढील ग गाय सुदाम या कास इसे विलग करण| गंजामते सारसा वादाला दिजावयास) युग दाउ घणु वितमाता कल वेसा आप कामं दाएं। कामाला संपविला एवं श्रणु (हा दिता व जाया विद्यालमाणसाप घाघरा इहिंसकारसमुदाय कला एवं हिय साप दिसजमालीख -दानादित्रियकुमारमा पियाग एवं श्दा सितदा शितं मया। ताऊस अशेम में वंशदद । इमेशात जाया
जय. दादउन • पितादाद
चलाई हचसा
विश्वजय• पिता ना
हवीची पाण
ॐ स्वयं जोगिन न जानु दायादी
घणान साधार बायक
तानुदादती
चाल्प उच्चाय
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