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••साहन विस्वासस्थान समय समहिना कात करत 39 सामान समजदार धार मन्नविषबाट म एकदाचि का यो कार्य याघात करत सामान डागमती त चिंतारने कल्प ज्ञानकजाति करंड ए. चारण तिना करंडी या समान मनुष्पानिमा हिट लिकर गिरधवारेज म्हारा मन नजरें विय• अम्हाराजीविन
परिसासन
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• जातिजन्मजरामरण माविमा सिएमा पाकमपण मग लंड करंडा समाए रयापश्यता जानक • किमपि दियय दिएर पिवलाल सवाया । किमंग आणया साया ।। तानाखतु। महतोल वेदना अजाम शेवणमविदिशया गं। तंत्र वादिता व जावतावा बाम तालकिन गत मंत्र प्रतिनियत आदिका लगए हिंसमा एण दि। परिणयवायचा हियकलस तंत्र क कसमसा जीवामो ह महावीरसा। अंतिथे मोडल शिवा । श्रागा समाली म्ह बजे ताल मवेद
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स्वरुप पश्खत्रिय कमाएर प्रेमा पियाराएवंवदा सि। तद वत: मिजाथा गात्रकंतीचा श्रमगड (तिजरामशा लवडा पिसास पसं म विज्ञलया देवाल आणि
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स्वाद सम्मिति॥साकमा पाई । श्रमगाकड हिंगमण या वाकय चागमाया चाभिमानश्व को नि सदन सडकष्ट |स्प सातधाविवक्षित कालः घातिघा के पूर्व पिवोः पूत्र स्पवान्योन्यातागमनाय । परालाकि उ सह वे कःयश्व
मसकल प्राता नानावि विनो घयत
तू गमनाय ताते बच सहतिकः । चीका वा पश्चातू म्रियात त्य
निदिनां गुल्मादः श्रन बांझ आदः रहूग दादिनाविश्वस सतयवधानार्थ