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________________ विजय २०पाय करवानागुण १० राज्य डोमिन ई म० यदा मनोदश महा अनंत ने ऐ दीपालीबी छलदे गुसमिदं। एसहित महाय सो ५० था है वनीक ०तिमविजयनामारा अनातील जानीजन वजदेव जेनी १० निर्मनकीनि नदीमा तर विजन रामा प्राक्ति पर जारव द्वारका जातशे बद तिरालीना पुत्र दल नामेदादेव तिनै शिता मेरा नदी में बैठा देवनी पदवी है जाती भर्ता ईसाक्षिदारू देवता सब जोगी फलितेन यो वाइनंदन संसारमा जोगनगरीनैदिन ६९४ नामादास देवतौ निवासदेव नोरमलाई दिने सेनामा व लदेव तो ति शुरू मेधा संतली वेराश्री दिव्याले केवल ग्यानी शोकाल राजभोग दिने ते एकदा स्तावैसा तिरै दिजै राजा तिखारीवालीसातली वैराग मुक्तिः इति नंदनराजानी रुमासमाप्ताः मदीया कर्मविमुक्ते गया इतिविजय रजदेव नी ॥स०तिम तकिं० ० संयमनै द्विषइमम्म म० मह बजनामा रा० कबीनई वि०क्तिकरी जबी तदेगांत किंवा अरिकज्ञेचे असा महलोराय रिसीप्रादाय सिरसा सिरिय थमहाजनी कथाणा राजपुर नगरने दिनेश नातीनामेव्ह राली सूरसेनराजारे एकदा तेरा तीस मेद्धा शेटीतिले सिंघ स्वप्ना मैदी तो जागी राजानेक ही तिरै राजाक है या नामी पुत्र फुसी लेखन पावते दुवै जिरात्रीने दिरा लीये सिंघवी दोगे ते दनो कि सुरुज दो सी निमतिद्या कदै | अंरे सूरज ३ दोसी दोसाली दर्ज तय को स्वप्नात कानें लोमानदेइसी बदी श्री राजारालीनें दर्जनो पुरै मसि/सुनवेलापुर जनम्) धूलो मदोव करी नई महाबनइ सोना मदीक्षे कुमरबीजना मानीव सर्वसपुर्णकला सीबीयोन ३ मन्त्रायां । वित्तामोटा राजानीकन्याश्यानी आम जु जुदा कराव्या । तिहा दो गंधक देवनी परेस बनोग तो बिस्व कन्या नैविता दाम जोकोको सवलीको रूपैौ । कोड मलना जोमाने करथ रामक सर्व आठ संदीक्षा दारूषनो गत्ता एकदा प्रस्तावै धर्मघोष सूरदासान जीत कमरजाद्य मदेसनासान लीवेराग्यू एमी दिना लेवानी मन स्पा थई । घरेजावरी माता Qताने दाथ जोडी एड्दो बनसानली राजनि मुबीच्यादिश्रवतीढ ज्यो| उपचार करी से दके सचेतकी | माता विताने बचन करीसमा म देणतेमा ननदी । ऐराधी साते तदाली तिमिरो नहीं तिहारपली मातादिताघलो मोध बकरी गुरा से दिव्या दरावरी बरदरम लाइब करीमै मानीसले बला करी ब्रह्म देवलोके देवताय यतिदायी दश सागरनान को भोग दी बल्कि यमेि बिबदारी याने दर्सकुत्र श्री महावीरगना से दिव्यानी इतिमदा बजनीकृथाः इतिसंाती नामा १८माध्ययननीकथासमासा लि०माहात्मा गणेश : सिरदारमहर ०ग्रही नई सि० मस्तकई मा यासाट सारे श्रममता सम लक्ष्मी के ग्वान बहीनसता 42
SR No.650014
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size138 MB
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