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________________ सो० सिद्ध सोनी देवानं । च० बाडी नई राज्यमु० उ०उदाम ननामा राजाई २० पाम्पोस ० मोक्षगति यमच्याक रा०राजा ० मेरीसमा ९० दिव्याली मान न उदाईराजानीकथा कहै बार एनटि निदाईराजाराज्यकरें तिने नातीराणीने श्रावक तप धर्मनेविसावन वैदितरांगनी नकिरता सुर्वे | राजय लिखे | एकदा तिहाराज सनाई एक विद्या प्राति श्राम तिनै शरीरन्दनमुनातिरै जातीये सोमीणा लीएक कुरुप दासी वास घणी चाकरी करावी ते देत लेक दिने निरोगथश् तेद्वै समे नावतीच्प्राणो मरढ कमोजागी राजासा ग्रामीदीया ती ही सलेम एाकरी पहले देवलोके देवताथय।। दिवैले श्रदविद्याधराविका जा तो दो गोली दासी नदीशी लेनीनाद एक गोली साधी से ही वर्णर्णसरी सदर कायाथ इ जी गोजीनो यो अन्ना जेमं नोबित रमिले तिवारीदासीटी जाल्यो उसी लीन गरी नोलीचं द्योतन मोटी राजा । तेत्रमा जरतार दे तो सबसे / एड्वी बातन डी ली नगरीयेर कुती तिहा द्योतन राजनितिमहाकाली। ति ऐबात साल जीने दाई राजाने इमो कल्पो का गट्मेली को जेड मारेवल पुल कादा सीवैतेामने मेल दे ज्यो एहल कामदनदाईराजाठा मो इतनी मानकरी मोहारेका कोमने करकामा एमनी दिनू मोदीस सीमा त्रिसर्वक्षता तच श्रोतनने कले |इतेको उदाइरा जाजोरावर इमदे मी नदी तिवारेचे द्योतने वाली याने पेग मुक्या जादोजिम तिमकर्णकाच्या निमकरोनिया उदाइराजानंदर वारा व्हाट माही जरा जलोकनीदासी बाराव्या वार कर थोडे मोजे छली रक्त ये । ग् लीसा में सिध्थक सवलकारी प्रतीता दे तिवारी व मुलकनिक लौ (जेच्या चे द्योतनना या दमीला तोतोने के लीयं द्योतन से जेइजा न निवारे स्वर्ण गुलका बोलीचे द्योतन तिच्या दिले जावेतो या बुनही तो जानूनदी । एतो सबगुल कानो को कनसोनी ठीकरा तुम्हें जेवरात तिरेर जात्रा लोप ह स्तीच्प्रनज निरीतिउपर उनुकुलेीवनयात्रामा जिल्हा संकेतठीकाण अतीसिदा का तुलका श्री मिली तिरै दाबी चावीने ना नैवालीले लिनांग दाट तोति तिलसमेतिज्ञा गंधस्तीनीवास गंधक उदा इनाची सर्व बंधन तोडीनाग विचार मुहतैरी राजनिक यो दमाहाराज | स्वीनी गंदेकरी जमदा श्रीना सैतिमना गातिदार राजा दिमाम्मो जिनके लीये श्रोत सवर्णमुल का पानी ती तेर खेलति सिहाश्री स्वदानी दासीले इजा सेवक को "जा दो वर्ष गुलकांनी दरकार तिदा। सराजलो कमै बबरकरी दिलतनला भी विकक है देरा जन्नस का नैवेद्य तनले इगयो एव वातमा नली उदाइराजा कुठे वो पहने र सालै नी सरमाव्दा देवने थलेरह्यो । तिबेला राजाना सटकने वाली निर्जन ही तिसामरालागा तिवारे नाती राणीदेवता सोबीर राय व सदी। चईता मुलीवरो उदायो । पलोग इम एकतरं
SR No.650014
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size138 MB
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