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________________ एकपल्यायमखितिया एसी स्त्रपालापधमनरक विवाहिए। नारकाननष्ट एकसागरायमस्विसिमामाकदाजीथई। पुगताका लिखिशनासमयणपहाटवारस्याउकोसांवगंम्मा गरासिईया छाय) मनकट विवान ना अघन्य) एकसागरोगमस्चितिमा असुरकमारसदनपती देवांगन केनलाकान30 एकरच्यापम एकीन कष कह्या पधमनिकायन (स्वनिग्राऊ पुधीरस्या कवच यासारोमंदिई प्रमुजमाराहिदाणंममाया प्रगपाल पर कहा असुरकुमार देव कृष्ट पक्षमा सागरोयमलिनिया असुरऊमारेपचमरे बलीदा कपनका । ना बिईय प्रमुख मागणदेवाण होस एटांसाहिसा शिधा सई अमुस्मादिदछि सदनयतीनदा एककनकक्षमा एकपल्यापम सरव्यातादर्धना-नानघासंझिगजपत्रवियतिधन कनाकषायबरहमपि एपमयुगलमाजिलियनव या सानिधादिडाणपण यापलि बाट प्रविधवास,अद्यामधिदिवाप्ति anावयुगसायी गनुध्यतिर्यच वाय स रवातावमाTERIमंशियवियमाणसंशतलास मष्ट्र मनवानावामानविन सकता मनमनुशर्वकोपिरतीकात्र यायपावला तापपरसाशंबंधीयुगलीया माणसन। Bातमागश्याण पायद्या लिए कोशिधारी प्रयाएं गतिविशाटगशवछलियन
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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