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________________ सामार्थ कगोकाक एक शाश्रवकमधिकसंवादात्मामाथ कमल की कामो पाय उपायनउर्मिकाल देनानीक लग ลาโหล सोगविव लक शिव बलदान मास एवाया गया निद्यय ड मंडी सकल एक योऊन शतसह माहवारी एकाश्या जाणां ॥ लांबपणे पिछालपुराका सामानको वास ॥ एकयोजनात सदस्य नरकादास मो सलग एकलाषयेोजन अपना नमन क Pen हातील एकाम्रायादिकता एप्प हाल एएको थ्या पास लाइप पिऊलाइ कहा ॥ पालकायान विमानासीस विनियोगसाधनीय जागर कसा योजन लोइय पिडालर क ही प्रथा परिकारणं । राधे सविना एण्डोससह राम विरो पोवनुतर विमा महाविज्ञानवेति महाविमानक ही यइते हक लाग विदाका योजनालाई विलेपण || श्री कहा। नक्षत्र एक तार क यवतमा एक एकमात्र पकी स्निकार्य वि शुकमी एक स्वप्तावः॥ प शिवपछि एकलप झवा दिरकते ॥ विनात्र एकताका ॥ स्वाननक्षत्र कतारों का गहनापहिला नरकष्टविदानविषै लाइक नारकीन ॥ त्रेता सकतेस नारे से रविवार रात्री गाए
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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