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________________ अमरिनख२६ व्यारयेो जन (पंकज पकाउ ॐ ज्ञदीप दीपनीचे से गट रूपवेदिका आयोजन चनवेदिका बार योजन निशि परिजन विलए एक ही ॥ समायं सोयगादिश्रला' में 'होती नस्मादीवस वेश्य छाएको गाई विकते में सबक लिय नीयाघाटी प्रतिमन घरं नाही। एम दिनुस एलिना कि गाथ रात्रिबार मुझे भी लगन बेहल्या दिवस मकरसंक्रांति ए) ६२४त्रकारी ॥ निमन३१२।। राईड बालसमुख त्रिया' ' एवंदिनमा बिना पचे बार योजन संच उत्पलीन इजईन। स्वानारानामधिवा सिहि शिला कही। बालस जोया मझ्या ईसिमा ईषत्कोलाजन सनुपासला विधि सीबीपातली प्रमाण माट। १६६ प्रसारानी जो जनजाति सुतराजा शिवा हं] माषीमी पादमसी ॥४॥ सर्व धन्यारात्रिश् हम किक काति ईसिनिवाईलपारतिया इतपय कदम ब्रह्मावतंसकुवासक लोक १४ राजलोकते जे या लजाकत मुकट करायला पस २६३ ||२०|| निश्श्एकही टाइ११४ सर्वजिहोगको सीमाएका तामाटाते इस महाविमानक हीइते द नीलीवृलिकावीरवरा ग्र सह सिमए महामाण्णू सराव व रिछाव वृलियगाड रादिकाबाटवीनी पकाई ईमो माया र विस्तारतघा पिडके म ईषत्प्रासाराभिहिशिलाने दनी १२वा सेना ॥ ईश् यक हतांनाम का ६ ईसिप राजन्धी उदास नाम विद्य जिनजिया या जिला आयुक्त मुक्तजे सितेन इति सहिसिलाक झालय के ही यहा ६॥ की कार घरमुल॥ लेो जीवनकार्यमा लय कहतोघर सिताका कधि उचालयकी शनिवारी दैनिया सियालय तिवा मुतीविदा उत्तालपरिचदा में लोक राज लोकमान प्रसाश्वीन विषैकेनलाइ पाच मी धूमपा मधूलिकाचोटी कुपाशिव कारकीन बार त्यो पमा पृथिवी इंकेतला रसूलका लिला ॥१३॥गत ॥ सक इक ! लिहिया इंसडिंसेतिया लोक पडिडिएपी र समलिए पंचा शरय
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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