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उपवासरी ३॥११॥
पारमीएको रात्रि प्रति मानिलिमा बाघका लोग एकसामा उपवस्त्रपात्रादिकन से लोग सोगी साध सा प्रतिमा॥ तेषामपाल इसमा राष्ट्रि) चारसा उपयोजना उत्पादनदोषात कही। ल बहुजा करी काम गरेका विकमनव्यवहारतिक ॥ विलापायश्चितले मन्त्रही ते संतोगी करीना चोनी है। का याम मात्रिमेषोन्मेषन करे ॥ १२ ॥ लापायी लगीन करी ॥१॥
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२४६॥श्राव्य त्रिला
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- यदयविकाराय हा विद्यादरे, "किया स्मरते करना मानव महिावीय सानपाणी ६ माजी कही निवदेन भी।
[ [) जो गीगा कर सुनेंसी कहायें। बस दिन कृतिक परमाधम विग्रह की साकार बम रखमासमण कही। स्तन करिब पा सहासाधक दणका है)घांदणे (बवेला
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पान साहित्करता विरोलोग घोषना कीजे तक मामला रही। जानमु अन्स बस रिवालिकनी पर लगाम राइजोमा रहे छापदेश ज्वाला र किनिक
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मा जाय कितिका बारसाय देसि
मन ॥
ग्रहमा होमोि नमस्कार नक विपासना म
कशिश विशे जीवदयः॥
योग
त्रैलाई सरो में गुरु प्रसाद सावदरणां देवाने जंबूदीपनी पूर्वमा पोलिनन५ । बाश्यो जनशतिसह श्रयतने (एला योजन सामाि विजयदेवतामीराजधानीलाइ कही।
वाया शिशुद्ध निश्वम एवं दलि पर्याटलान बोलाइएको लामो कलबाजी संख्यानम दीप
ऋतिकर्मदोद
दि६ उपवेशा निस्केमेरा दिया राय दाशी दाल सको यसद का प्रार्थम विरक से
रामदेव वासुदेवन साडी बारसयन रिसा सर्वचानुपालीने टेप उपाध्याप३मदेवलोक पा
मेरु पर्वत पर सहयोजन (पल बाते देने स इविवि४० यो जनची धूलिका बाते हम योजन विधिश्रावयोजन
दशमे बजदेव ऊचाला साप जितादेति मंदराणां पयसाडू लिया मूले उदा ईगंजवाद समापी पाव के होइ एकसम साव ॥१॥
वेला गुरु वायोग