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________________ नारकी बारसागरा माकन क सुक्क मानवनपतीदेवतालाई कम बायस्पोमा उनका ॥ सौधर्माईशान कल्पदेवलोक गया एक ताकदेवनदीप प ●का ॥ जीवेनारा असुर मारा देश शंकर मपलिए सोहम्मी मागे कां वा रसप लिए लेलएको मार्गशेय्मचा लोकदेव महेंद्र महासंघ नरे११|| | उपसंग लोके देवना जाश कंबु कंडया कप ३ रथ ॥ २०॥ कहा() भक369व कतिहां के तलाइ कदेवता नारसमा के देवा 'हिंद महिशों कंतु कंतु पीवं प्रेरये महाते महापुर पेड सखंड महामुंडे नरी' नरेंद्रकांत नरेोत्ररावतं पश्त्र विमान देवतापधपना ॥ तियांदेवताना सागरोपमा तेहदेवताना बारमा १२ सरु ॥१२॥ घनक छ । सा१परद दाम ॥ जि 'नरिसरसिगं विद्यादेवताना सिरे गांउ दरस मागवते देवादारसं सासोवासले ॥ तेहदेवतान बार5 वर्षसम्म) श्राहर के तलाकसंसार महिला कजीवब जह|| बा माणं श्राणसंविवानि सिदेत रससिद हिंमाहारयसि दियाजी या बात साफ। जिससे सर्व एक तेरक्रिया गणांक हांगक करिव द्वारा स्वजनधर्मा विक दिकने बहान करिस्का स्पातिना ते क्रियाकर्मबंधन रेखानास्वान धातुरने भायद मनद लिखाये ॥२॥ किनकी कई जाने मोशा बारा एयर संपूर्ण हिदेते र वारसहिंगह रोहिं सिक्षिसं । किरिति ए टेरस किरिया में ह
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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