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________________ नासक माता प्रशप लिविद्यानामतित्राय स्तन करणी दशेत्यादिना पनव नपसीविष 1. एस सरंप सिंगारसय विद्याविमराणा गवते हिंसहिंदिद्दा संवायात्राघविद्यति पारा एदसास ह पसि स्वसमय जनमत तया परसम कपकारला बजे सामान विषय वा नाषा परमतनाज्ञापक किक कानगुणदिक संबंधाने जिपत्रकं वादिक नाविविरण कहाँ यह निशांव जीते प्रश्न के सरीषातिविवि वांयतिनायते मघुविधा दिकागुणज्ञानादिकमान पा मतान परपस माविमा नाकाबन चाचा ने सातिपश्न कि माष्यां सिनसमा एप्पगारचाय रियला ससमय पर समयपचय्यनुद्दे विविध तासांना सिया विस्तार दमदमी विविधयक प्रकाशन विस्ता क्लीनेकेवां गतियारी सिवानादिक को मवस्त्रादित्यसूर्य करी ॥ टइयतेोई ॥ २वदन संदर्भतेरकरीसाष्पा जगवन विष्ट घटादिक होत्रागलिष्टबक ||पन | अ॥ ताबा ते साधकयनांनी विद्यादेवीत होनवि१६) श्रधिष्टपबनेश्व सादिव्यते संवादातलाय व्याकरणादशाननं विष।। ताविका क दिवाना विशेष ख्याम् कड़ी जन || या विचारांवर मदेसी हिं विविह विचारता सियाच जग हिताचा गंगा सिमणि रोमाि छात्रक वलीकेदाविविधनका महापद्मविद्या मन तहविद्याना देवता ते हमाञ्च धेष्टावानेमा वली पणइड गुणण्लोकिकप शतेना रमी महाप्रश्न विद्याश्वयक प्रश्नविद्या मनन चिंयोगममा पारमप्राधान्यपणा विवि कहवा श्रविद्याधनी प्र तिनकालदे नमक है। एड्वी विद्याधर्महिवाल एक मात्र घनाम होम न करीन र‍ सियाविविद नदापसिराविर्धमय सिरा विद्या देवय र योगपादपगासिया सगुण लादनरम् 1511 चमकारखपावलीको तीर्थ करत मने दना निवेदन वली भूके वांगंसीरकााइडरव बताकर कालसमय कण स्वायन का रनिगम हडक इंग्रही सकी विहांदमश से एाइ सहित ॥ अब ॥ रकम जातीय रात्रि मनुष्य समूद नविकर ब यत्र ॥ य पतिविन्द यकरा मंत्र्य तिसय मती काल समद मसम् ति कम विश्कर एाकारणाएँ डर निगम5र निगाह
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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