________________
तिसंयमगृह वासवेषीनुचालि । श्रनप्रियाप्रियसदिन मछलीवख सघले निरुद्धं । प्रजाश्रननिदान संच नवां ब
दहमा पद्यापियमपियंसइतितिरक या नयस इसलि राय द्यानयाविनगर दंदसंजय।।
康
ईशा सारिममुपसदन विष। अनेक अतिप्राय) / सावनुनिक साधुम निप्रायकर इंजन चारित्रनइंविधरं देवमनुष्य तियेचमं बंधीयालय
परी १६
chinad
बंदाद मागावी । उनाधनसंपगारइ सिरहा लय ले र वातावयेतितीमा दिद्यामगुस्सा तिरिया
श्रनेकमहिवास का परीस काय पुरुषसी दाई प्रसादकर तेज सपना ई मा हामी आनी परिधी डानयां मई। महाधीन संग्रा मांगणिकायारा प्रहारसह
||१६||परी सहाइ हिस हा सीयंतिञ्चाबका प्रियराना (सताननं दिछ सिस्को संगाम मी सव हिकायरन घातसीतवाडी मम साम्यच्च विव रोगपीडाकर शीतादिक परी सया विनियर दिलाया दिकञ्चाद्दरहितयरी सदसद। पूर्व नागराया।॥ २ ॥ सीधे सिपाद समसाय फासा व्यायंक विविदा फुमतिदिदं । तत्र दिया सइच्छा। जन्मांतर कृतकर्म ॥१६॥ / निविचक्षण साधनिरंतर राम ॐ नमोहक रवाय बांडी नई मे रुवायनी परि जब तिम श्याशरख विखा पुरक डा।। श्याम महायशगं चतादव दो सामादंच निरक्कू सययं वियरकरणा॥ मरुचचापण
साधूंपरी महरूपी इंवाकयमानायां गोपनीय सद् एाईसंयति मदरषिद् गर्व श्रनई दीनपणा रहिरहन्या न य दिनु मंगनकीन
कंपमा परी साहाय गुनसाद द्याणिनपनागर माहसी नयाविषयं परक्षेच संडा । मनझुला
निर्वाण किमार्थवा
2011
वबिनाइन की वीतिसंयत साथ विरक्तिनकलावयडिवा) तेपिप्रतिसमाधिस हिवा हनासंसघपरिचय र हिममं मारघको दरमिमं चाय • गाचात्मानदित बंडिया मंड। विद्या मंदिराव।। २।। २५२६ साह्य ही संघादा विशात्रा यहिए महाचापरमध्य