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________________ दिपदामिवसमा रे सजीवधाता कारण जाणी सर्वथा नई उपरिदा करिव एव प्रदेषा डम बई | एका भिकार्याविषशास्त्र समान5 पाइजजात करइन ही ॥ आचारंग समारेस मारण रसाच्चातारं सापरिणायात्सर्वति। एव सर्व समारे लमाण सम | इच्चिएका रेसा परिणाया सेवेति बीजाको पनिकायसमा रेस करावनदी लिरो को ईमारत करसौ इतेन तेजी लाने परिदरे मेधावीप समारंच नकरै सिसिमारे पाप जंगली ॥ नमिका विषसस्त्र जसमारे सइ नदीननइ एमालपरिज्ञाइ। जापन35 जजनमा रेस अनर्थज ॥ तं परिणायमेदावी | लेवसयंत्र गणिस समारंतेजा | नेवाऐदिं श्रगणि सचि समारंतविजा। गणिसचं समारसमा त्र अनुमोदनदी मजेदन अभिनासमाज परिज्ञाऽजाएपाइ तथा प्रत्याख्यान परिसुतिपरिज्ञातयात इतिश्री शस्त्रपरिज्ञाध्ययने व थो करीम वचने कर ज्ञाईपरिदरपाइ ॥ नौकर घर जा श्रीस्वामिम श्रोधये ॥४॥ उदेश मि तर जिम श्री रित सभी से सत्यातिमको स्वरूपकल क्रमागत "कले ॥ वायुस्वरूप का वनस्पति स्वरूपक लेनस मणुजा रोजा | जस्साता गणिकम्म समारं सा परिपायाल वेति सेऊ मुणी परिसायकाम्म | शिब मि॥ इतिशस्त्र कं । ते काइ तिहार उतर जेवायुतेदृष्टिगोचर नावे इसी कार मिपा तेनोपसेवनस्पतिना समारं स ऊंन ही करुं मन वचन काया त मतिमंत जरीन तेवनस्पती नऊ प्रारस जेव निश्रावन थाई तिलकारण बीजा एकेंडी व गोवरी ४१ रिच इंसान ही करावी करतो नुमोदन ही फसतरतेदे रमार्थजानकर5 ए पथ अवायु स्वरूप काय तो सुगमणिकाराचममुपपदीप्याच्या दरी तथायाव जी वादिकाल सेयमते स वनस्पति स्वरूपकतेल रूपजालीन॥श्री सूस्वामि जब तक जे प्रवचन थकी ॥ डरहम्प परिज्ञाध्ययने व निदेशकः समाप्तः॥॥॥॥ नोकरिस्सा मिसमुहार | मताम मंत्रालय विदिशा | ते जे सोकर९९ सा 2/2/ तमारपुरा दिन शक्षदिविषय | जे०कुस्ती अक्षादिविषयतेच्या अर्ज जे समास्तेषु प्राशदिविषयकी haथवा विदिसि ॥ सिलाषा वनस्पतिमा सविषयक कहती संसारनाकार एसपी संसारादिकविषयते ससार हब ॥ สม रक दीय जसा मारतेश था दिविष विषय वनस्पतीजे SSSS ॐ सास्त्र निजादौन ॐ कि उप होपका નિશ્ચચમનવિષલીમ ते साकहीय सिविर चाव२९| एसएगा। रत्रिपन्नई || || जगु एसे प्रवाह ॥ प्रवाह से ऽऽऽऽ शकानी पजता दी सब यद्यपि अनरी काय थक38 राम्रा धादिविषयबइतथापिवनस्पतिथको थाई बल विषयी उत्पतितिरणिका र सिजि गुणे सध्या बहे जे या बहे से रोक न विस्तारार्थ बालबोध थी जो एव हि एका दिवनस्पतिनिष्पन से सार नाकारणकला । ते एक दिसिन थवा सर्वदिसित कद इन हूं कहती उपहर उपर्वत शिषश दि कनइविष ३१लीनी जीन तिरियं पाई। पा जालिबोइसउदै बाइबऽ उ 9
SR No.650010
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorMayachand Matthen
PublisherVikramnagar
Publication Year1736
Total Pages146
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size75 MB
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