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________________ सिन उपदेस दीति (स्त्रत्रयन विष सावध मनासी ॥ सिंबध्यमान जाते iraat ara वारसा सभी इंजन एक सान९ जेानिसमा रेतखतुभि पई ॥ कर्म बंधनकार दबु जो एफ5 ते किसुं ॥ 3 सेतंसं बुशमा। प्रयालीयंस मुसाजालगवणगारा गवातिए। इदमेगे सिंमायं सवंति | एस खलु गांधे। श्मोद् | एमार | एदनइर्थिक | ६. वे कह तो जे एका शिक्षासमार से | पगनिकर्म समारे ॥ करी ॥ | एनरक एसरख लुमोदे। एस खलु मारे | एस खलुनिर इज्ञ्चयं गढ़िएलोए। जमिणविरुवरुवे दिसते दि। गणिक मास मारते। समाजको अनेरा प्राणीयारूप द (दिवईतेषामित्र संष्कता पृथिवीनी निश्राइं मित्राणानीतिश्राइं पाडा मिनारसिजीवनुंघात बाजीद कीमीषता वृद (घातक ॐ ॥ बोली गुल्मवतीप्रमुष॥ गरुपाविदिन सबैमि | संतिया पुढविनिस्सिया) त एपिस्सिया) पत्र कीमा करोणादि तथा व्यादि) बावली से पालिमा जे ग्राम केाणी अनीस (मिरिस्पइं तेजी एतले करू की चानी वा जीव पडते माषीलम पाइने इतेक बापा निःश्रक aas || रार्दिनिका वा ॥ देव ॥ सिस्सिया | कठनिस्सिया गामय निस्सिया कपवर निस्सिया । संति संपातिमापाएगा| आदञ्चे संपयंति श्रगचि रख तेतिदग्रनिविषऽसूत्रीयांम जेति सूचीयांम ॥ तेतिन्ही प्राण मूकं मिन तापमात्र से कोपा अतिदांगात्र संकोच मम ॥ मरा 5॥ सुहा रागसंघायमाव ऊंति | जेतच संघायमा वति । तच परियावदतिजेतञ्चपरियावति तद्दायति गणितं समा रेशमा विनिःश्रा) काश्नी निश्रायुपदे ही बाएनी विश्राइं मुष जीव॥ हलिन इत्यादिजीवन।
SR No.650010
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorMayachand Matthen
PublisherVikramnagar
Publication Year1736
Total Pages146
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size75 MB
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