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________________ घोमाना दाघीनाल वृषदनाल हल कमाना लक्षण तीतर नाल क्षण लक्षण ऋण बटेरानाल लावगनाजए चक हयजख गयलरको गाल रक श मिंदल रक' ऊऊ डेलरक गतिशिल रकवाल रक सांजा नख लरक चक नालक बेचनाला वर्मनाला मनाला पहनाज मलिनाला कारीना जलने की उनगी थी नगी हमारूपक मोनागी थाई दोजागी थाई ग रिव नेहनें ग्रामन शाकिनो विचार प्येनन का ने हमने उठाय लरक बलरको चम्मलरको डलरको असिलरको माएलस्करणे कागणिल रकणं सुनगा करें 5 नगाकरं ग जैविद्यानें लोकने सामथर्वणविद्या इंद्रजाल विदीनी धनुर्वे वेश्मानुं सूर्यनुचरिनोव हस्पतिनीचरित्र कादिकार्यनिरोग है वेददीयें तत्काल घो चाटनादिविद्या चरित्र दोन भाकरे मोदकर आदि पाग सामणिं दव दो मंखत्त्रियविद्ये वेदबरिये सूरमरिये मुक्क बरि में वह स्मतिवरिय महोम ॥ उल्कापात दिश्दाह आरपाकजीव काकादिपंषीयाना रजोदृष्टि के दृष्टि मांस दृष्टि रुधिरवृष्टि वेतालीनानाजीने व्यवस्था केवल एक नामविद्या उपक्रमा पिनी प्रमाणें केनलो उक्कापार्यादिमादा हे मिमचके बामसमरिमेडल पंसुबुक सबुद्धि मेस बुद्धि कहिबुद्धिविता लिहावतालिं सोव ऐकामा राजपत् तालोद्घाटनीयांमालिशांबरी विडी कालिगी गौरीगंधारी अपनी उत्पननी नली नली श्लेष मामय करणी हिंसालुघा डांसो वा गिसो वरि दाम निकालिगिं रंगा वितनुपमणि जेनविन लिमलिं - प्रमाकर शिवाल पजीविद्यान्नने पार्थि विशल्पकरकामी कर मनी विद्या यहः वसूने जलाई नेत्रपाहरु बलिंगी अनुजई विमलकर पिकमप्रित दाणिं प्रायमशिल एवं मादिना विद्यान अन्तस्माद ने पनं जे तिपाणस्साद उपजेति व ये उपाश्रयने शिद्याने नाना प्रकार काम लोग ने हे ने प्रजु विद्यासेवे ने अनार्य यद्यपि में करीना स्माल स्म सारस अन्नेसिंवा विरूबरू खाएं काम नोगा । दिपजेतितिरिवत विद्यमाबतितनगारियादि‍ सेवनाथ तेायुषानें ये कालमा अज्ञान खुरी किचिषीमांहिं तथानके उपजई, निषेध कावजीन बली कोना में कालक नई सपनें प्रजायें नारा प्रमुरिया इंकि छमिया हा इव तारो नवेति तत्त्रो विविष्पमुच्चे मागा ज‍ हाहारी हवी डिवन्ना काल मासिकाले किच्चा नने विषेश्वे करदर्शन नान चैतदीयेंष्टग वक्र०४ कर्मनाकर रकम कार्यअनाचारीक हवाई घटानाल का ज्योतिष शासूथीजा एवं
SR No.650004
Book TitleSuyagadanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1877
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size69 MB
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