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________________ BISHIRISHISHIनIIIBIHITE मुदितमुदितमीक्ष्य व्योम्नि चन्द्रं चकोरैरसमरसमयत्वं मेजिरे कैरवाणि / रुचिररुचिरयेण क्षिप्यमाणेऽन्धकारे रजनिरजनि रम्या यौवने कन्यकेव // 31 // इति वनदेवतातिशयनिर्मितरम्यतया मनसि दशार्णराजदुहिता पिहितार्तिरया / विरचितमजना सरिति तीरतरुस्थगिते स्फटिकशिलातले समयमात्रमशेत सुखम् // 32 // निर्निद्रा पररात्रमात्रसमये पुत्रस्य चिन्तावशात् यावत् पश्यति पद्मपत्रनयना सोत्साहमम्युत्थिता। तावत् तत्र ददर्श विस्मयरसादुत्कीर्णपश्चालिकावक्षोजश्रुतदुग्धपानतरलं पुत्रं निजं सा सती // 33 // तां मूर्तिमुत्तमतमां वनदेवताया मूर्धा प्रणम्य परमां मुदमुद्वहन्ती / आत्मानमित्थमवगम्य भृशं सनाथं न स्वर्णबाहुभगिनी विततान चिन्ताम् // 34 // यद् ब्रह्मणोऽपि विषमाजनि बाहुसृष्टिदृष्टिं विना यदजनिष्ट नदी च पूर्णा / धात्रीपदं च विततान यदश्मपुत्री नैतत् त्रयं भुवि परत्र कलावतीतः इति श्रीमाणिक्यदेवसूरिकृते नलायने पञ्चमे स्कन्धे षोडशः सर्गः // 16 // HIA IGI ASIA ISINI ATHISTERS - -
SR No.600449
Book TitleNalayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2001
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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