SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 324
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आवश्यकनिर्युक्तेरव क्षेत्रकाल द्वारे नि० गा० 643-648 चूर्णिः // 316 // KkKER***KXEKKER पर्यायः, सर्वायुष्कं, आगमः कः कस्यासीत् ?, परिनिर्वाणं वाच्यं, कस्य भगवता जीवता सता आसीत् कस्य वा मृतेन, तपश्च, किं केनापवर्ग गच्छता तप आचरितं, चात्संहननादि वाच्यं // 642 // क्षेत्रद्वारमाहमगहा गोब्बरगामे जाया तिण्णेव गोयमसगोत्ता। कोल्लागसन्निवेसे जाओ विअत्तो सुहम्मो य // 643 // मगधाविषये गोबरग्रामे जातास्त्रय एवाद्या गौतमसगोत्राः॥ 643 // मोरीयसन्निवेसे दो भायरो मंडिमोरिया जाया / अयलो य कोसलाए महिलाए अकंपिओ जाओ॥ 644 // मौर्यसन्निवेशे // 644 // . तुंगीयसन्निवेसे मेयजो वच्छभूमिए जाओ। भगवपि य प्पभासो रायगिहे गणहरो जाओ॥६४५॥ तुङ्गिकसन्निनिवेशे मेतार्यो वत्सभूमौ जातः, कौशाम्बीविषये इत्यर्थः // 645 // कालद्वारमाहजेट्ठा कित्तिय साई सवणो हत्थुत्तरा महाओ य / रोहिणि उत्तरसाढा मिगसिर तह अस्सिणी पूसो // 646 // एतानि यथायोगमिन्द्रभूतिप्रमुखाणां नक्षत्राणि // 646 // जन्मद्वारे मातापितरावेवाहवसुभई धणमित्ते धम्मिल धणदेव मोरिए चेव / देवे वसू य दत्ते बले य पियरो गणहराणं // 647 // त्रयाणामाद्यानामेक एव पिता, शेषाणां यथासयं धनमित्रादयः // 647 // पुहवी य वारुणी भद्दिला य विजयदेवा तहा जयंती य / णंदा य वरुणदेवा अइभद्दा // 316 // //
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy