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________________ आवश्यकनियुक्तेरक चूर्णिः // 242 // सुग्गीवे दढरहे विण्हू वसुपूजे अखत्तिए / कयवम्मा सीहसेणे अ भाणू विससेणे इअ // 388 // सूरे सुदंसणे कुंभे सुमित्तु विजए समुद्दविजए अ। राया अ अस्ससेणे सिद्धत्थेवि य खत्तिए // 389 // पर्यायो गृहस्थादिः स चोक्त एव, गतिमाहसवेऽवि गया मुक्खं जाइजराबंधणविमुक्का / तित्थयरा भगवंतो सासयसुक्खं निराबाहं // 39 // एवं तीर्थकरानङ्गीकृत्य प्रतिद्वारगाथा व्याख्याता, अथ चक्रिणां वर्णप्रमाणद्वारद्वयमाहसवेऽवि एगवन्ना निम्मलकणगप्पभा मुणेयवा / छक्खंडभरहसामी तेसि पमाणं अओ बुच्छं // 391 // पंचसय अद्धपंचम बायालीसा य अद्धधणुअंच / इगयाल धणुस्सद्धं च चउत्थे पंचमे चत्ता // 392 / / पणतीसा तीसा पुण अट्ठावीसा य वीसइ धणणि / पण्णरस बारसेव य अपच्छिमो सत्त य धणूणि // 393 // नामानि प्रागुक्तानि, अथ गोत्राण्याहकासवगुत्ता सवे चउदसरयणाहिवा समक्खाया। देविंदवंदिएहिं जिणेहिं जिअरागदोसेहिं // 394 // आयुर्धारमाहचउरासीई बावत्तरी अ पुवाण सयसहस्साई। पंच य तिण्णि य एगं च सयसहस्सा उ वासाणं // 395 // | पंचाणउइ सहस्सा चउरासीई अ अट्ठमे सट्ठी। तीसा य दस य तिन्नि अ अपच्छिमे सत्तवाससया // 396 // अथ पुराण्याह | जिनानां | पितृगतया नि० गा. 388-390 | चक्रिणां वर्णप्रमाणगोत्राषि नि० गा. 391-396 // 242 //
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
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