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________________ आवश्यकनियुक्तेरव चूर्णिः // 239 // चक्र्यादीनां पृच्छा निर्देशश्च नि० गा० 372-375 भा० गा० 39-40 ___ सुगमे // 370-371 // अह भणइ नरवरिंदो भरहे वासंमि जारिसो उ अहं / तारिसया कइ अण्णे ताया ! होति रायाणो? // 372 // अथ भणति नररेन्द्रः, भारते वर्षे यादृशस्त्वहं तादृशाः कत्यन्ये तात! भविष्यन्ति राजानः॥ 372 // अह भणइ जिणवरिंदो जारिसओ तं नरिंदसद्दलो। एरिसया एक्कारस अण्णे होहिंति रायाणो // 373 // अथ भणति जिनवरेन्द्रो यादृशस्त्वं नरेन्द्रशाला, शार्दूल:-सिंहः, ईदृशा एकादश अन्ये भविष्यन्ति राजानः // 373 // ते चैवंहोही सगरो मघवं सणंकुमारो य रायसङ्कलो। संती कुंथू अ अरो होइ सुभूमो य कोरव्वो // 374 // णवमो अ महापउमो हरिसेणो चेव रायसङ्कलो / जयनामो अ नरवई बारसमो बंभदत्तो अ॥ 375 // सुगमे // 374-375 // अथ यदुक्तं 'अपृष्टश्च दशारान् कथितवां स्तदभिधित्सुराह भाष्यकार:होहिंति वासुदेवा नव अण्णे नीलपीअकोसिज्जा। हलमुसलचक्कजोही सतालगरुडज्झया दो दो // 39 // (भाष्यम्) / भविष्यन्ति वासुदेवा नव, नव बलदेवाश्चानुक्ता अप्यत्र तत्सहचरित(चर)त्वात् द्रष्टव्याः, ते च सर्वे बलदेववासुदेवा यथासङ्ख्यं नीलानि पीतानि च कौशेयानि-वस्त्राणि येषां ते तथा, तथा हलमुशलचक्रयोधिनः-हलमुशलयोधिनो बलदेवाः, चक्रयोधिनो वासुदेवाः, सह तालगरुडध्वजाभ्यां वर्त्तन्ते इति सतालगरुडध्वजाः, एते च भवन्तो युगपद् द्वौ द्वौ भविष्यतः बलदेववासुदेवाविति // 39 // वासुदेवबलदेवनामान्याह तिविद अ दिविट्ठ सयंभु पुरिमुत्तमे पुरिससीहे / तह पुरिसपुंडरीए दत्ते नारायणे कण्हे // 40 // (भाष्यम् ) 50SEXXXXXXXXXXXXXXXXXXX // 239 //
SR No.600447
Book TitleAvashyak Sutra Niryukterev Churni Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay
PublisherDevchandra Lalbhai Jain Pustakoddhar Fund
Publication Year1965
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size37 MB
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