________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ / / 1576 // 30 शतके उद्देशकः१ सूत्रम् 825 क्रियावाद्यायुर्बन्धादि सम्यग्मिथ्यादृष्टिपदे जहा अलेस्स त्ति समस्तायूंषि न बध्नन्तीत्यर्थः / / 17 / / / / 824 // नारकदण्डके 23 किरियावादी णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा! नो नेरइयाउयं नो तिरिक्ख० मणुस्साउयं पकरेइ नो देवाउयं पकरेइ, 24 अकिरियावादी णं भंते! नेरइया पुच्छा, गोयमा! नो नेरइयाउयं तिरिक्खजोणियाउयं प० मणुस्साउयंपि प० नो देवाउयं प०, एवं अन्नाणियवादी वि वेणइयवादीवि / 25 सलेस्साणं भंते! ने० किरियावादी किंनेरइयाउयं, एवं सव्वेवि ने० जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एगं प०, जे अकिरि० अन्नाणियवादी वेणइयवादी ते सव्वट्ठाणेसुवि नो नेरइयाउयं प० तिजोणियाउयंपि प० मणुस्साउयंपि प० नो देवाउयं प०, नवरं सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहिं दोहिवि समोसरणेहिं न किंचिवि प० जहेव जीवपदे, एवं जाव थणियकुमारा जहेव ने०।२६ अकिरियावादीणंभंते! पुढविक्काइया पुच्छा, गोयमा! नो नेरइयाउयंप० ति जोणियाउयं० मणुस्साउयं० नो देवाउयंप०, एवं अन्नाणियवादीवि। 27 सलेस्साणं भंते! एवं जंजं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं 2 मज्झिमेसु दोसुसमोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं प० नवरं तेउलेस्साए न किंपि प०, एवं आउक्काइयाणवि, वणस्सइकाई०, तेउका० वाउका० सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं प० तिरिक्खजो० प० नो मणु० नो देवाउ० प०, बेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं जहा पुढविकाइयाणं नवरं सम्मत्तनाणेसु न एक्वंपि आउयं प०॥ 28 किरियावादी णं भंते! पंचिं० तिरि० किं नेरइयाउयं प० पुच्छा, गोयमा! जहा मणपज्जवनाणी, अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी य चउव्विहंपि प०, जहा ओहिया तहा सलेस्सावि। 29 कण्हलेस्सा णं भंते! किरियावादी पंचिंदियतिरिक्ख० किं नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा! नो नेरइयाउयं प० णो तिरिक्ख० नो मणुस्साउयं नो देवाउयं प०, अकिरि० अन्नाणि० वेणइ० चउव्विहंपि प०, जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सावि काउलेस्सावि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं अकिरि० अन्ना० वेणइ० य णो नेरइयाउयं प० देवाउयंपिप० तिजोणियाउयंपि प० मणुस्साउयंपि // 1576 //