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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1571 // 30 शतके उद्देशकः१ सूत्रम् 824 क्रियावाद्यादीनिसमव सरणानि ॥अथ त्रिंशं शतकम् // // त्रिंशत्तमशतके प्रथमोद्देशकः॥ 8 व्याख्यातमेकोनत्रिंशंशतम्, अथ त्रिंशमारभ्यते, अस्य चायं पूर्वेण सहाभिसम्बन्धः-प्राक्तनशते कर्मप्रस्थापनाद्याश्रित्य जीवा विचारिता इह तु कर्मबन्धादिहेतुभूतवस्तुवादमाश्रित्य त एव विचार्यन्त इत्येवंसम्बद्धस्यास्यैकादशोद्देशकात्मकस्येदं प्रथमोद्देशकादिसूत्रं १कइणं भंते! समोसरणा पन्नत्ता?, गोयमा! चत्तारि समोसरणा पन्नत्ता, तंजहा-किरियावादी अकिरियावादी अन्नाणियवाई वेणइयवाई, २जीवाणं भंते! किं किरियावादी अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी?, गोयमा! जीवा किरि०वि अकिरि०वि अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, 3 सलेस्सा णं भंते! जीवा किं किरियावादी? पुच्छा, गोयमा! किरि०वि अकिरि वि अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, एवं जाव सुक्कलेस्सा, 4 अलेस्सा णं भंते! जीवा पुच्छा, गोयमा! किरि० नो अकिरि० नो अन्नाणियवादीनो वेणइयवादी।५ कण्हपक्खियाणं भंते! जीवा किं किरियावादी? पुच्छा, गोयमा! नो किरि० अकिरि० अन्ना०वि वेण०वि, सुक्कपक्खिया जहासलेस्सा, सम्मदिट्ठीजहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, ६सम्मामिच्छादिट्ठीणं पुच्छा, गोयमा! नो किरि० नो अकिरि० अन्ना०वि वेण वि, णाणी जाव केवलनाणी जहा अलेस्से, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हप०, आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा अलेस्सा, सवेदगाजाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगाजहा अलेस्सा, सकसायी जावलोभकसायी जहासलेस्सा, अकसायी जहा अलेस्सा, सजोगीजाव काययोगी जहासलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहासलेस्सा। 7 नेरइयाणंभंते! किं किरियावादी? पुच्छा, // 1571 //
SR No.600445
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size38 MB
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