________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1466 // कृतयुग्मत्वादि सार्धादि दव्वठ्याए असंखेज्जगुण त्ति भावनैवमेव, असङ्खयेयप्रदेशात्मकत्वादवगाहक्षेत्रस्यासङ्घयेयगुणा इत्ययमस्य भावार्थ इति॥ 25 शतके 55 // // 741 // पुद्गलानेव कृतयुग्मादिभिर्निरूपयन्नाह उद्देशक:४ सूत्रम् 59 परमाणुपोग्गले णं भंते! दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मे तेयोए दावर० कलियोगे?, गोयमा! नो कडजुम्मे नो तेयोए नो दावर० 742-743 कलियोगे एवं जाव अणंतपएसिए खंधे। 60 परमाणुपोग्गला णं भंते! दव्व० किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा! ओघादेसेणं सिय परमाण्वादिः कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावर० कलियोगा एवं जाव अणंतपएसिया खंधा। 61 परमाणुपोग्गलेणं भंते! पएसट्टयाए किं कडजुम्मे पुच्छा, गोयमा! नो कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावर० कलियोगे 62 दुपएसिए पुच्छा गोयमा! नो कड० नो तेयोय. दावर० नो कलियोगे, 63 तिपए. पुच्छा गोयमा! नो कडजुम्मे तेयोए नो दावर० नो कलियोए 64 चउप्पएसिए पुच्छा गोयमा! कडजुम्मे नो तेओएनोदावर० नोकलियोगेपंचपएसिएजहा परमाणुपो० छप्पएसिएजहा दुप्पएसिए सत्तप० जहा तिप० अट्ठप० जहा चउप्प० नवप० जहा परमाणुपो० दसप० जहा दुप्पएसिए, 65 संखेजप० णं भंते! पो० पुच्छा, गोयमा! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोए एवं असंखेजप०वि अणंतप०वि / 66 परमाणुपो० णंभंते! पएस० किं कड० पुच्छा, गोयमा! ओघा० सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणा० नो कड० नो तेयोया नोदावर० कलियोगा, 67 दुप्पएसियाणं पुच्छा, गोयमा! ओघा० सिय कडजुम्मा नो तेयोया सिय दावरजुम्मा नो कलियोगा, विहाणा० नो कडजुम्मा नो तेयोया दावरजुम्मा नो कलियोगा, 68 तिपएसियाणं पुच्छा, गोयमा! ओघा० सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा विहाणा० नो कडजुम्मा तेयोगा 8 // 1466 // नोदावर० नोकलियोगा, ६९चउप्पएसियाणंपुच्छा, गोयमा! ओघा०वि विहाणा०वि कडजुम्मा नो तेयोगानोदावर० नोकलियोगा, पंचपएसिया जहा परमाणुपोग्गला, छप्प० जहा दुप्प०, सत्तप० जहा तिप०, अट्ठप० जहा चउप०, नवप० जहा परमाणुपो०,