________________ 20 शतके उद्देशकः८ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1319 // सूत्रम् 675-682 कर्माकर्मभूमिषुकाल: व्रतानिजिनान्तरं पूर्व गतं तीर्थप्रवचनं 9 जंबुद्दीवेणं भंते! दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवतियं कालं पुव्वगए अणुसज्जिस्सति?, गोयमा! जंबुद्दीवेणंदीवे भारहे वासे इमीसे उस्सप्पिणीए ममंएगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसज्जिस्सति, 10 जहाणंभंते! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे इमीसे ओस्सप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसज्जिस्सइ तहा णं भंते! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए अवसेसाणं तित्थगराणं केवतियं कालं पुव्वगए अणुसज्जित्था?, गोयमा! अत्थेगतियाणं संखेनं कालं अत्थेगइयाणं असंखेनं कालं।सूत्रम् 678 // 11 जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवतियं कालं तित्थे अणुसज्जिस्सति?, गोयमा! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए ममं एगवीसं वाससहस्साइं तित्थे अणुसज्जिस्सति ॥सूत्रम् 679 // 12 जहाणं भंते! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एक्कवीसंवाससहस्साइंतित्थं अणुसिज्जस्सति तहा णं भंते जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे आगमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स केवतियं कालं तित्थे अणुस०?, गोयमा! जावतिए णं उसभस्स अरहओ कोसलियस्स जिणपरियाए एवइयाइं संखेज्जाइं आगमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स तित्थे अणुसज्जिस्सति // सूत्रम् 680 // 13 तित्थं भंते! तित्थं तित्थगरे तित्थं?, गोयमा! अरहा ताव नियमं तित्थकरे तित्थं पुण चाउवन्नाइन्ने समणसंघो, तं० समणा समणीओसावया सावियाओ। सूत्रम् 681 // 14 पवयणं भंते! पवयणं पावयणी पवयणं?, गोयमा! अरहा ताव नियम पावयणी, पवयणं पुण दुवालसंगे गणिपिडगे तं० आयारो जाव दिट्ठिवाओ॥१५ जे इमे भंते! उग्गा भोगा राइना इक्खागा नाया कोरव्वा एए णं अस्सिं धम्मे ओगाहंति अस्सिं 2 अट्ठविहं कम्मरयमलं पवाहेति पवा० तओ पच्छा सिझंति जाव अंतं करेंति?, हंता गोयमा! जे इमे उग्गा भोगा तं चेव जाव अंतं // 1319 //