________________ 20 शतके | श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1297 // उद्देशक:५ सूत्रम् 668 परमाण्वादिवर्णादिः दुब्भिगंधे 2 जइ दुगंधे सिय सुब्भिगंधे य दुन्भिगंधे य भंगा 3 / रसा जहा वन्ना। जइ दुफासे सिय सीए य, निद्धे य, एवं जहेव दुपएसियस्स तहेव चत्तारि भंगा 4, जइ तिफासेसव्वेसीए, देसे निद्धे, देसे लुक्खे१सव्वे सीए, देसे निद्धे, देसा लुक्खा र सव्वे सीए, देसा निद्धा, देसे लुक्खे 3 सव्वे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे 3 एत्थवि भंगा तिन्नि, सव्वे निद्धे, देसे सीए, देसे उसिणे भंगा तिन्नि 9, सव्वे लुक्खे, देसे सीए, देसे उसिणे, भंगा तिन्नि एवं 12, जइ चउफासे देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे 1 देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसा लुक्खा 2 देसे सीए, देसे उसिणे, देसा निद्धा, देसे लुक्खे 3 देसे सीए, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसे लुक्खे 4 देसे सीए, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसा लुक्खा 5 देसे सीए, देसा उसिणा, देसा निद्धा, देसे लुक्खे 6 देसा सीया, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे 7 देसासीया, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसा लुक्खा 8 देसासीया, देसे उसिणे, देसा निद्धा, देसे लुक्खे 9 एवं एए तिपएसिए फासेसुपणवीसं भंगा॥४चउप्पएसिएणं भंते! खंधे क० जहा अट्ठारसमसए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते जइ एगवन्ने सिय कालए य जाव सुकिल्लए 5 जइ दुवन्ने सिय कालए य, नीलगे य 1 सिय कालगे य, नीलगा य 2 सिय कालगा य, नीलगे य 3 सिय कालगाय नीलगाय ४सिय कालए य लोहियए य एत्थवि चत्तारि भंगा ४सिय कालए य हालिद्दए य 4 सिय का० यसुक्किले य 4 सिय नीलए य लोहियए य 4 सिय नी० य हा० य 4 सिय नी० य सु० य 4 सिय लो० य हा० य 4 सिय लो० य सु० य 4 सिय लो० य हा० य 4 सिय लो० य सु० य 4 सिय हा० य सु० य 4 एवं एए दस दुयासंजोगा भंगा पुण चत्तालीसं 40, जइ तिवन्ने सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य 1 सिय कालए, नीलए, लोहियगा य 2 सिय कालगा य, नीलगा य, लोहियए य 3 सिय कालगा य, नीलए य, लोहियए य एए भंगा 4 एवं कालनीलहालिद्दएहिं भंगा 4 कालनीलसुकिल्ल 4 काललोहियहालिद्द 4 काललो.सु० 4 कालहा०सु० 4 नीललो हा०गाणं भंगा 4 नीललो०सु० 4 नीलहा०सु० 4 लो० हा० सुकिल्लगाणं भंगा 4 एवं एए // 1297 //