________________ श्रीभगवत्यङ्ग सूत्रस्य श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 8 // विषयानुक्रमः 00 क्रम: विषयः सूत्रम् | [31.1-28] प्रथमोद्देशकतो ऽष्टाविंशोद्देशकः। 829-841 1 क्षुल्लकयुग्मादीनामुत्पादः। 829-841 [32] द्वात्रिंशं शतकम् / 842-843 32.1-28] प्रथमोद्देशकतो ऽष्टाविंशोद्देशकः। 842-843 1 उद्वर्त्तना। 842-843 [33] त्रयस्त्रिंशं शतकम् / 844-849 [33.12] द्वादशोद्देशकाः। 844-849 1 एकेन्द्रियभेदादिः / 844-849 [[34] चतुस्त्रिंशं शतकम्। 850-854 [[34.1] प्रथमोद्देशकः। 850-851 1 एकेन्द्रियविग्रहादि- अधः पृथ्व्यादीना मूर्ध्वादावुत्पादः / 850-851 |[34.2-12] द्वितीयोद्देशकत: द्वादशोद्देशकः / 852-854 एकेन्द्रियशतानि 12 / 852-854 [[35] पञ्चत्रिंशं शतकम् / 855-863 पृष्ठः क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः [35.1-11) प्रथमोद्देशकतः 1581-1585 एकादशोद्देशकः। 855-859 161 1619 1581-1584 | 1 एकेन्द्रियशतानि 12- महाराश्युत्पादादि१५८६-१५८७ प्रथमसमयायेकेन्द्रिया: कृष्णलेश्यैकेन्द्रियादि। 855-859 / / 1610-1619 1586-1587 36-39] षट्त्रिंशशतकादेकोन१५८६ चत्वारिंशं शतकम्। 860-863 1620-1622 1588-1593 | 1 द्वीन्द्रियतोऽसंज्ञिपञ्चेन्द्रियाः।८६०-८६३ 1620-1622 1588-1593 | [40] चत्वारिंशं शतकम्। 864-865 1623-1628 1588-1592 संज्ञिपञ्चेन्द्रियाः१५९४-१६०९ अभवसिद्धिमहाजुम्मसयं / 864-865 1623-1628 1594-1605 एकचत्वारिंशं शतकम्। 866-867 1629-1634 राशियुग्मशतकम्। 866-867 1629-1634 1594-1602 अन्त्यमङ्गलम्। 868 1635-1637 प्रशस्तिः / 1638-1639 1605-1609 1605-1608 // श्रीव्याख्याप्रज्ञप्त्यङ्गसूत्रस्य (श्रीमद्भगवत्यङ्गसूत्रस्य) 1610-1622 तृतीयविभागस्य विषयानुक्रमः // [41]