SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 620 // वयसा 45, अहवा न कारवेइ कायसा 46, अहवा करेंतं नाणुजा० मणसा 47, अहवा करेंतं नाणुजा० वयसा 48, अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा 49 / 7 पडुप्पन्नं संवरेमाणे किं ति० तिविहेणं संवरेइ?, एवं जहा पडिक्कममाणेणं एगूणपन्नं भंगा भणिया एवं संवरमाणेणवि एगूणपन्नं भंगा भाणियव्वा / 8 अणागयं पच्चक्खमाणे किं ति तिविहेणं पच्चक्खाइ? एवं ते चेव भंगा एगूणपन्ना भाणियव्व जाव अहवा करेंतं नाणुजा० कायसा॥९समणोवासगस्स णं भंते! पुव्वामेव थूलमुसावाए अपच्चक्खाए भवइ से णं भंते! पच्छा पच्चाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवायस्ससीयालं भंगसयंभणियंतहा मुसावायस्सविभाणियव्वं / एवं अदिन्नादाणस्सवि, एवं थूलगस्स मेहुणस्सवि थूलगस्स परिग्गहस्सवि जाव अहवा करेंतं नाणुजा० कायसा॥ एए(वं) खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, नो खलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवंति // सूत्रम् 329 // 10 आजीवियसमयस्सणं अयमढे पण्णत्ते अक्खीणपडि(रि)भोइणो सव्वे सत्ता से हंता छेत्ता भेत्ता लुंपित्ता विलुपित्ता उद्दवइत्ता आहारमाहारेंति, तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवंति, तंजहा-ताले 1 तालपलंबे 2 उव्विहे 3 संविहे 4 अवविहे 5 उदए 6 नामुदए 7 णमु(नम्मु)दए 8 अणुवालए 9 संखवालए 10 अयंबुले 11 कायरए 12, इच्चेते दुवालसमाजीवियोवासगा अरिहंतदेवतागा अम्मापिउसुस्सूसगा पंचफलपडिक्वंता, तंजहा- उंबरेंहि वडेहिं बोरोहिं सतरेहिं पिलंखूहि, पलंडुल्हसणकंदमूलविवज्जगा अणिल्लंछिएहि अणक्कभिन्नेहिंगोणेहिं तसपाणविवजिएहिं चित्तेहिं वित्तिं कप्पेमाणे विहरंति, एएवि ताव एवं इच्छंति, किमंग पुण जे इमे समणोवासगा भवंति जेसिं नो कप्पंति इमाइंपन्नरस कम्मादाणाइंसयं करेत्तए वा कारवेत्तए वा करेंतं वा अन्नंन समणुजाणेत्तए, तंजहा- इंगालकम्मे वणकम्मे साडी० भाडी० फोडी० दंतवाणिज्जे लक्खवा. केसवा० रसवा० विसवा० जंतपीलणकम्मे निलंछण दवग्गिदावणया सरदहतलायपरिसोसणया असतीपोसणया, इच्चेतेसमणोवासगासुक्का सुक्काभिजातीया 8 शतके उद्देशक:५ आजीविकाधिकारः। सूत्रम् 329 अतीतानागतप्रत्याख्यानप्रश्नः। श्रमणोपासकव्रतभङ्गप्रश्राः। सूत्रम् 330 द्वादशाऽऽजीवकोपासकानां पञ्चफलादिप्रत्याख्यानम्। 8 // 620 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy