________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 1023 // धम्मत्थिकाय.?, एवं जहा जीवत्थिकायपएसे तहेव निरवसेसं / 37 जत्थ णं भंते! दो पोग्गलत्थिकायपदेसा ओगाढा तत्थ के. धम्मत्थिकाय.?, सिय एक्को सियदोन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं आगासत्थि वि, सेसंजहा धम्मत्थिकायस्स / 38 जत्थ णं भंते! तिन्नि पोग्गलत्थि० तत्थ के० धम्मत्थिकाय.?, सिय एक्को सिय दोन्नि सिय तिन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं आगासत्थि वि, सेसंजहेवदोण्हं, एवं एक्केको वड्डियव्वो पएसो आइल्लएहिं तिहिं अत्थिकाएहिं, सेसंजहेव दोण्हंजाव दसण्हं सिय एक्को सियदोन्नि सिय तिन्निजाव सिय दस, संखेन्जाणं सिय एक्को सिय दोन्नि जाव सिय दस सिय संखेज्जा, असंखेज्जाणं सिय एक्कोजाव सिय सं० सिय असं०,०जहा असंखेज्जा एवं अणंतावि।३९ जत्थणंभंते! एगे अद्धासमए ओगाढे तत्थ के० धम्मत्थि.?, एक्को, के० अहम्मत्थि०?, एक्को, के० आगासत्थि०?, एक्को, के. जीवत्थि.?, अणंता, एवं जाव अद्धासमया। 40 जत्थणं भंते! धम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ के० धम्मत्थिकायप० ओगाढा?, नत्थि एक्कोवि, के० अहम्मत्थिकाय.?, असं०, के० आगास०?, असं०, के जीवत्थिकाय.?, अणंता, एवंजाव अद्धासमया।४१ जत्थणंभंते! अहम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ के० धम्मत्थिकाय?, असं०, केवतिया अहम्मत्थि०?, नत्थि एक्कोवि, सेसंजहा धम्मत्थिकायस्स, एवं सव्वे, सट्ठाणे नत्थि एक्कोवि भाणियव्वं, परट्ठाणे आदिल्लगा तिन्नि असंखेन्जा भाणियव्वा, पच्छिल्लगा तिन्नि अणंता भाणियव्वा जाव अद्धासमओत्ति जाव के० अद्धासमया ओगाढा नत्थि एक्कोवि ।।सूत्रम् 483 // ___ 42 जत्थणं भंते! एगे पुढविकाइए ओगाढे तत्थणं केवतिया पुढविक्काइया ओगाढा?, असंखेल्जा, के० आउक्काइया ओगाढा?, असं०, के० तेउकाइया ओगाढा?, असं०, के. वाउ० ओगाढा?, असं०, के० वणस्स० ओगाढा?, अणंता / 43 जत्थ णं भंते! एगे आउकाइए ओगाढे तत्थणं के० पुढवि० असं०, के० आउ० असं०, एवं जहेव पुढविकाइयाणं वत्तव्वता तहेव सव्वेसिं निरवसेसं 13 शतके उद्देशक:४ नरकथिव्यधिकारः। सूत्रम् 483 9-10 अव| गाढजीवाव| गाद्वारे। धर्माधमाऽऽकाशजीवानामेकप्रदेशावगाढे धमोदीनामवगाढ प्रश्नाः / पुगलस्यकद्यादिसं० असं० अनन्तकसमयावगाडेचध० | अ० प्रश्ना:। | सूत्रम् 484 पृथिव्यप्कायाघेवगाढे | पृथिव्य बादीनांपरस्परा| वगादप्रश्ना:। // 1023 //