________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 988 // 12 शतके उद्देशकः 10 आत्मभेदाधिकारः। सूत्रम् 469 | रत्नप्रभादि आयाति य नो आयाइ य, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ रयणप्पभा पुढवी सिय आया, सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं आतातिय नोआतातिय?, गोयमा! अप्पणो आदिढे आया, परस्स आदिटेनोआया, तदुभयस्स आदिढे अवत्तव्वं रयणप्पभा पुढवी आयातिय नोआयातिय से तेणटेणं तंचेव जाव नोआयातिय। 13 आया भंते! सक्करप्पभा पुढवी जहा रयण पु० तहा सक्कर वि एवं जाव अहे सत्तमा।१४ आया भंते! सोहम्मकप्पे पुच्छा, गोयमा! सोहम्मे कप्पे सिय आया, सिय नोआया जाव नोआयाति य, से केण० भंते! जाव नोआयातिय?, गोयमा! अ० आइडे आया, परस्स आ० नोआया, तदुभयस्स आ० अवत्तव्वं आताति य नोआताति य, से तेणतंचेव जाव नोआयाति य, एवं जाव अचुए कप्पे / 15 आया भंते! गेवि० अन्ने गेविज्जविमाणे एवं जहारयणप्पभा तहेव, एवं अणुत्तरविमाणावि, एवं ईसिपब्भारावि।१६ आया भंते! परमाणुपोग्गले अन्ने पर पो०? एवं जहा सोहम्मे कप्पे तहा पर०पो.वि भाणियव्वे // 17 आया भंते! दुपएसिए खंधे अन्ने दुप० खंधे?, गोयमा! दुप० खंधे सिय आया 1 सिय नो आया 2 सिय अवत्तव्वं आयाइ य नोआयाति य 3 सिय आया य नोआया य 4 सिय आया य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य 5 सिय नोआया य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य६, 18 सेकेण० भंते! एवं तंचेव जाव नोआयाति य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य गोयमा! अप्पणो आदिढे आया१परस्स आ० नोआया 2, तदुभयस्स आ० अवत्तव्वं दुपएसिएखंधे आयाति य नोआयाति य 3, देसे आ० सब्भावपज्जवे देसे आ० असन्भावपज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया य नोआया य 4, देसे आ० सम्भावपज्जवे देसे आ० तदुभयपजवे दुपएसिएखंधे आया य अवत्तव्वं आयाइ य नोआयाइय५, देसे आदिढे असन्भावपज्जवे देसे आ० तदुभयपज्जवे दुपएसिएखंधे नोआया य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य 6 से तेणटेणं तं चेव जाव नोआयाति य॥१९ आया भंते! तिपएसिए खंधे अन्ने तिपएसिएखंधे?, गोयमा! तिपएसिएखंधे सिय आया 1 सिय नोआया 2 सिय अवत्तव्वं आयाति यनो आयाति य 3 सिय आया | यावत्सिद्धशिलासदसद्रू| पप्रश्नाः / | परमाणुव्यणु| कसदसद्रूप| त्वतद्धत्वादि|प्रश्नाः / | त्रिचतुःपञ्चप्रदेशिकानामात्मादि विविधभङ्गाः। // 988 //