________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 939 // 12 शतके उद्देशक:४ पुद्रलाधिकारः। सूत्रम् 445 एकद्वित्र्यादि दश दुप्पएसिए खंधे एग० पंचपएसिए खंधे भ० अहवा एग० परमाणुपो० एगयओ तिपएसिए खंधे एग० चउपएसिए खंधे भ० अहवा एग० दो दुपएसिया खंधा एग० चउप्पएसिएखंधे भ० अहवा एग० दुपएसिएखंधे एग० दो दुपएसिया खंधा एगयओभवंति, चउहा कज्जमाणे एग० तिन्नि परमाणुपो० पंचपएसिए खंधे भ० अहवा एग० दोन्नि परमाणुपो० एग० दुपएसिए खंधे एग० चउप्पएसिए खंधे भ० अहवा एगयओ दो परमाणु० एग० दो तिपएसिया खंधा भ० अहवा एग० परमाणु० एग० दो दुपएसिया खंधा एग. तिपएसिएखंधे भ० अहवा चत्तारि दुपएसियाखंधा भवंति, पंचहा कन्जमाणे एगयओचत्तारि परमाणुपो० एग० चउप्पएसिएखंधे भ० अहवा एग• तिन्नि परमाणु० एग• दुपएसिए एग० तिपएसिए खंधे भ० अहवा एगयओ दो परमाणुपो० एग० तिन्नि दुपएसिया खंधा भ०, छहा कज्जमाणे एग० पंच परमाणु० एग० तिपएसिए खंधे भ० अहवा एग० चत्तारि परमाणुपो० एग० दो दुपएसिया खंधा भ०, सत्तहा कज्जमाणे एग० छ परमाणुपो० एग• दुपएसिए खंधे भ० अट्टहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपो० भवंति। 8 नव भंते! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा! जाव नवविहा कजंति, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपो० एग० अट्ठपएसिए खंधे भ०, एवं एक्वेक्वं संचारें(रं)ते(रिए)हिं जाव अहवा एगयओ चउप्पएसिए खंधे एग० पंचपएसिए खंधे भ०, तिहा कज्जमाणे एग दो परमाणुपो० एगयओ सत्तपएसिए खंधे भ० अहवा एग० परमाणुपो० एग दुपएसिए एगयओ छप्पएसिए खंधे भ० अहवा एगयओ परमाणुपो० एग. तिपएसिए खंधे एग० पंचपएसिए खंधे भ० अहवा एग० परमाणु० एग दो चउप्पएसिया खंधा भवंति अहवा एग० दुपएसिएखंधे एग० तिपएसिएखंधे एग० चउपएसिए खंधे भ० अहवा तिन्नि तिपएसिया खंधा भवंति, चउहा कन्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपो० एग. छप्पएसिए खंधे भ० अहवा एग० दो परमाणुपो० एग. दुपएसिए खंधे एग० पंचपएसिएखंधे भ० अहवा एग० दो परमाणुपो० एग तिपएसिए खंधे एग० चउप्पसिए खंघे भ० अहवा एग० परमाणुपो० एग० दो दुपएसिया खंधा यावत्सङ्खयेयासङ्घचेयानन्ताणुएकतयास्कन्धेनभेदेन च स्कन्धादिभनाः / // 939 //