________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 929 // व०-पभूणं भंते ! संखेसमणो देवाणुप्पियाणं अंतियं सेसं जहा इसिभद्दपुत्तस्स जाव अंतं काहेति / सेवं भंते! 2 त्ति जाव वि०॥ सूत्रम् 440 // 12-1 // 12 कोहवसट्टे ण मित्यादि, 15 इसिभद्दपुत्तस्स त्ति, अनन्तरशतोक्तस्येति // 440 // द्वादशशते प्रथमः॥१२-१॥ ॥द्वादशशतके द्वितीय उद्देशकः॥ अनन्तरोद्देशके श्रमणोपासकविशेषप्रनितार्थनिर्णयो महावीरकृतो दर्शितः, इह तु श्रमणोपासिकाविशेषप्रश्नितार्थनिर्णयस्तत्कृत एव दर्शाते, इत्येवंसंबद्धस्यास्येदमादिसूत्रम् १तेणं कालेणं 2 कोसंबी नामनगरी होत्था वन्नओ, चंदो(त्तरायणे)वतरणे चेइए वन्नओ, तत्थ णं कोसंबीएन० सहस्साणीयस्स रन्नो पोत्ते सयाणीयस्स रन्नो पुत्ते चेडगस्स रन्नो नत्तुए मिगावतीए देवीए अत्तए जयंतीए समणोवा० भत्तिज्जए उदायणे नामं राया होत्था वन्नओ, तत्थ णं कोसंबीएन० सहस्साणीयस्सरन्नोसुण्हा सयाणीयस्सरन्नो भज्जा चेडगस्स रन्नो धूया उदायणस्स रन्नो माया जयंतीए समणोवा० भाउज्जा मिगावती नामं देवी होत्था वन्नओ (तंजहा) सुकुमाल जावसुरूवा समणोवा० जाव विहरइ, तत्थ णं कोसंबीए न० सहस्साणीयस्स रन्नो धूया सयाणीयस्स रन्नो भगिणी उदायणस्स रन्नो पिउच्छा मिगावतीए देवीए नणंदा वेसालीसावयाणं अरहंताणं पुव्वसिज्जायरी जयंती नामंसमणोवा होत्था सुकु० जाव सुरूवा अभिगय जाव वि० // सूत्रम् 441 // 2 तेणंकालेणं २सामी समोसड्डेजाव परिसा पजुवासइ / तएणं से उदायणे राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हट्टतुट्टे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ को पु०२त्ता एवं व०-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया!कोसंबिं नगरिमन्भिंतरबाहिरियं एवं जहा कूणिओ(उववा०प०६३-२) 12 शतके उद्देशकः१ शाधिकारः। | सूत्रम् 440 | क्रोधमानपीडितजीव: किं बध्नातीति शङ्कप्रश्नः। श्रमणापासकानां शलक्षमापना। शहप्रव्रज्यासामादिगौतमप्रश्ना:। उद्देशक:२ जयन्त्यधिकारः। सूत्रम् 441 कौशाम्बी उदायन प्रथमशय्यातरी जयन्त्यादि। सूत्रम् 442 जयन्तीप्रश्राः। // 929 //