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________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 758 // ९शतके उद्देशकः 32 गानन्याधिकारः। सूत्रम् 376 देवप्रवेशनकप्रकारप्रश्नाः। एकादियावदसङ्ख्येय देव०प्र० योगादि, 38 एगे भंते! देवपवेसणएणं पविसमाणे किं भवणवासीसु होजा वाणमंतरजोइसियवेमाणिएसु होजा?, गंगेया! भवणवासीसुवा होजावाणमंतरजोइसियवेमाणिएसुवा होज्जा / ३९दोभंते! देवा देवपवेसणए पुच्छा, गंगेया! भवणवासीसुवा होज्जावाणमंतरजोड़सियवे० वा होज्जा अहवा एगे भवणवा एगे वाणमं० होजा एवं जहा तिरिक्खजोणियपवेसणए तहा देवपवेसणएवि भाणियव्वे जाव असंखेजत्ति / 40 उक्कोसा भंते! पुच्छा, गंगेया! सव्वेविताव जोइसिएसुहोजा अ० जोइसियभवण० य होजा अ० जोइसियवाण. य होज्जा अ० जोइसियवेमाणिएसुय होज्जा अ० जोइसिएसुय भवण० य वाणमंतरेसुय होज्जा अ० जोइसिएसुय भवण य वेमा० य होजा अ० जोइसिएसुवाण० वेमा० य होज्जा अ० जोइसिएसुयभवण यवाण. यवेमा० य होजा। 41 एयस्सणं भंते! भवणवासिदेवपवेसणगस्स वाणमंतरदेवप० जोइसियदेवप० वेमाणियदेवप० य कयरे 2 जाव विसेसाहियावा?, गंगेया! सव्वत्थोवेवेमाणियदेवपवेसणए भवणवासिदेवप० असंखेजगुणे वाणमंतरदेवप० असंखेजगुणे जोइसियदेवप० संखेजगुणे॥ सूत्रम् 376 // 42 एयस्सणंभंते! नेरइयपवेसणगस्स तिरिक्ख० मणुस्स० देवपवेसणगस्स कयरे कयरेजाव विसेसाहिए वा?, गंगेया! सव्वत्थोवे मणुस्सपवेसणए नेरइयप० असंखेजगुणे देवप० असंखेजगुणे तिरिक्खजोणियप० असंखेज्जगुणे॥सूत्रम् 377 // 30-32 मनुष्यप्रवेशनकं देवप्रवेशनकंच सुगमम्, तथाऽपिकिञ्चिल्लिख्यते, मनुष्याणां स्थानकद्वये संमूर्छिमगर्भजलक्षणे प्रविशतीति द्वयमाश्रित्यैकादिसङ्ख्यातान्तेषु पूर्ववद्विकल्पाः कार्याः, 33 तत्र चातिदेशानामन्तिमं सनयातपदमिति तद्विकल्पान् साक्षाद्दर्शयन्नाह, संखेज्जेत्यादि, इह द्विकयोगे पूर्ववदेकादश विकल्पाः, 34 असङ्ख्यातपदे तु पूर्व द्वादश विकल्पा उक्ता इह पुनरेकादशैव, यतो यदि संमूर्छिमेषु गर्भजेषु चासङ्ख्यातत्वं स्यात्तदा द्वादशोऽपि विकल्पो भवेत्, न चैवम्, इह गर्भजमनुष्याणांस्वरूपतोऽप्यसङ्ख्यातानामभावेन तत्प्रवेशनकेऽसङ्ख्यातासम्भवाद्, अतोऽसङ्ख्यातपदेऽपि विकल्पैकादश | उत्कृष्ट देव० |प्र०, तदल्प बहुत्वादि प्रश्नाः / सूत्रम् 377 सर्वप्रवेशनकाल्पबहुत्व प्रश्नः। // 758 //
SR No.600444
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages574
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size15 MB
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