________________ भाग-२ // 750 // सङ्ख्याताः श्रीभगवत्यङ्ग शतानि व्यशीत्यधिकानि भङ्गकानां भवन्तीति, सप्तकसंयोगे तु दशानां सप्तधात्वे षडेककाश्चतुष्कश्चेत्येवमादयश्रीअभय. चतुरशीतिर्विकल्पाः, तैश्चैकस्य सप्तकसंयोगस्य गुणने चतुरशीतिरेव भङ्गकानां भवन्ति, सर्वेषां चैषां मीलनेऽष्ट सहस्राणि वृत्तियुतम् अष्टोत्तराणि विकल्पानां भवन्तीति // 373 (अपूर्णम् // २१संखेज्जा भंते! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए 1 सयाताः वा होजा 7 अहवा एगे रयण संखेजा सक्करप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण संखेजा अहेसत्तमाए होज्जा 2 सच्चाताः अहवा दो रयण संखेजा सक्कर० वा होजा एवं जाव अ० दो रयण संखेज्जा अहेसत्त० होज्जा अ० तिन्नि रयण०४ संखेजा सक्कर होज्जा एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारेयव्वो जाव अ० दस रयण संखेजा सक्कर होजा एवं जाव 5 सङ्ख्याताः अ० दस रयण संखेजा अहेसत्त होज्जा अ० संखेज्जा रयण संखेजा सक्कर होजा जाव अ० संखेज्जा रयण० सं० अहेसत्त होजा अ० एगेसक्र० सं० वालुय० होज्जा एवं जहा रयण. उवरिमपुढवीएहिंसमंचारिया एवं सक्करप्पभाएवि 8 सङ्ख्याताः 9 सद्ध्याताः उवरिम पुढवीएहिं समं चारेयव्वा, एवं एक्वेक्का पुढवी उवरिम पुढवीएहिं समं चारेयव्वा जाव अ० संखेज्जा तमाए सं० / अहेसत्त होज्जा अ० एगे रयण० एगे सक्कर० संखेज्जा वालुय होज्जा अ० एगे रयण एगे सक्कर० सं० पंक होजा जाव 11 सङ्ख्याताः अ० एगे रयण० एगे सक्कर० संखेज्जा अहेसत्त० होज्जा अ० एगे रयण दो सक्कर० सं० वालुय० होजा अ० एगे रयण एवं 11 भागाः दोसक्र० सं० अहेसत्त होज्जा अ० एगे रयण तिन्निसक्र० संखेज्जा वालुय होज्जा एवं एएणं कमेणं एकेको संचारेयव्वो अ० एगे रयण० सं० सक्कर० सं० वालुय होज्जा जाव अ० एगे रयण संखेज्जा वालुय० सं० अहेसत्त होज्जा अ० दो रयण संखेजा सक्कर० सं वालुय होजा जाव अ० दो रयण संखेजा सक्कर० सं० अहेसत्त होज्जा अ० तिन्नि रयण संखेजा सक्कर० संखेजा वालुय० 9 शतके उद्देशक: 32 गाङ्गेयाधिकारः। सूत्रम् 373 (अपूर्णम्) सायातनारकजीवप्रवेशनके, एकद्वयादिसंयोगी 7,231,735, 1085,861, 357,61 इत्यादिविविधभङ्गप्रश्नाः / सहयाताः 8 // 750 //