________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 743 // ९शतके उद्देशकः 32 गाङ्गेयाधिकारः। सूत्रम् 373 (अपूर्णम्) पश्यनारकजीवप्रवेशनकेव्यादिसंयोगी त्रिकसंयोगे 8, अ० एगे रयण एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अ० एगे रयण दो सक्कर० एगे 90 रत्न वालुय० एगे अहेसत्त० होज्जा 12 अ० दो रयण एगे सक्कर० एगेवालुय० एगे पंक० होज्जा एवं जाव अ० दो रयण. 60 शर्करा एगे सक्कर एगे वालुय० एगे अहेसत्तमाए होज्जा 16 अ० एगे रयण एगे सक्कर एगे पंक० दो धूम होजा एवं जहा |36 वालुकप्रभा चउण्हं चउक्कसंजोगो भणिओ तहा पंचण्हवि चउक्कसंजोगो भाणियव्वो, नवरं अब्भहियं एगो संचारेयव्वो, एवं | जाव अ० दो पंक० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्त होज्जा अहवा एगे रयण एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे पंक० एवं 210 ____ एगे धूमप्पभाए होज्जा 1 अ० एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे पंक० एगे तमाए होज्जा 2 अहवा एगे रयण जाव एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होज्जा 3 अहवा एगे रयण एगे सक्कर० एगे वालुयप्पभाए एगे धूम० एगे तमाए होज्जा 4 अ० एगे रयण. एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे धूमाए एगे अहेसत्तमाए होजा 5 अहवा एगे रयण एगे सक्कर एगे वालुय० एगे तमाए एगे अहेसत्त० होज्जा 6 अ० एगे रयण० एगे सक्कर० एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए होज्जा 7 अ० एगे रयण एगे सक्कर० एगे पंक० एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होजा 8 अ० एगे रयण एगेसकर० एगे पंक० एगे तम० एगे अहेसत्त होज्जा 9 अहवा एगेरयण एगे सक्कर. एगे धूम० एगे तम० एगे अहेसत्त० होज्जा 10 अहवा एगे रयण एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए होज्जा 11 अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होज्जा 12 अहवा एगे रयण एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे अहेसत्त० होज्जा 13 अ० एगे रयण एगे वालुय० एगे धूम० एगे तम० एगे अहेसत्त होज्जा 14 अ० एगे रयण० एगे पंक० जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा 15 अ० एगे सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे तमाए होज्जा 16 अ० एगे सक्कर० जाव एगे पंक० एगे धूम० एगे अहेसत्त होज्जा 17 अ० एगे सक्कर० जाव एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्त होजा 18 अ० एगे सक्कर० एगे वालुय एगे धूम० एगे इत्यादिविविधभङ्ग प्रत्रा: // 743 //