________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-१ // 488 // निस्संगयाए निरंगणयाए गतिपरिणामेणं बंधणछेयणयाए निरं(रि)धणयाए पुव्वपओगेणं अकम्मस्स गती प०॥१२ कहन्नं भंते! निस्संगयाए निरंगण० गइपरिणामेणं बंधणछेयण निरंधण पुव्वप्प० अक० गती पन्नायति?, से जहानामए- केइ पुरिसे सुक्कं तुंब निच्छिडं निरुवहयंति आणुपुव्वीए परिकम्मेमाणे 2 दन्भेहि य कुसेहि य वेढेइ 2 त्ता अट्ठहिं मट्टियालेवेहिं लिंपइ रत्ता उण्हे दलयति भूति(इं) 2 सुक्कं समाणं अत्थाहमतारमपोर(रि सियंसि उदगंसि पक्खिवेजा, से नूणं गोयमा! सेतुंबे तेसिं अट्ठण्हं मट्टियालेवे(वा)णं गुरुयत्ताए भारिय० गुरुसंभारिय. सलिलतलमतिवइत्ता अहे घरणितलपइट्ठाणे भवइ?, हंता भ०, अहेणं से तुंबे अट्ठण्हं मट्टियालेवेणं परिक्खएणं धरणितलमतिवइत्ता उप्पिं सलिलतलपइट्ठाणे भ० 1, हंता भ०, एवं खलु गोयमा! निस्संगयाए निरंगण. गइपरिणामेणं अकम्मस्स गई पन्ना०, 13 कहन्नं भंते! बंधणछेदण० अक० गई पन्नत्ता?, गोयमा! से जहा नामए- कलसिंबलियाइ वा मुग्गसिंब० वामाससिंब० वा सिंबलिसिंब० वा एरंडमिंजियाइवा उण्हे दिन्ना सुक्का(क्खा) समाणी फुडित्ताणं एगतमंतंग०, एवं खलुगोयमा!०। 14 कहन्नं भंते! निरं(रिं)धणयाए अकम्मस्सगती?, गोयमा! से जहानामए- धूमस्स इंधणविप्पमुक्कस्स उईवीससाए निव्वाघाएणं, गती पवत्तति, एवं खलु गोयमा! / 15 कहन्नं भंते ! पुव्वप्पओगेणं अक० गती पन्नत्ता?, गोयमा! से जहानामए- कंडस्स कोदंडविप्पमुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाघाएणं गती पवत्तइ, एवं खलु गोयमा! नीसंग० निरंगण जाव पुव्वप्प० अक० गती पण्णत्ता।सूत्रम् 265 // 10 गई पण्णायइ त्ति गतिःप्रज्ञायतेऽभ्युपगम्यत इतियावत्, 11 निस्संगयाए त्ति निःसङ्गतया कर्मामलापगमेन निरंगणयाए / त्ति नीरागतया मोहापगमेन गतिपरिणामेणं ति गतिस्वभावतयाऽलाबुद्रव्यस्येव, बंधणच्छेयणयाए त्ति कर्मबन्धनछेद नेनैरण्डफलस्येव, निरन्धणताए त्ति कर्मेन्धनविमोचनेन धूमस्येव, पुव्वपओगेणं ति सकर्मतायां गतिपरिणामवत्त्वेन ७शतके उद्देशक:१ आहारकानाहारकवक्तव्यताऽऽधिकारः। सूत्रम् 265 अकर्मजीवगति प्रश्नाः। तत्कारणनिःसंगतादि तस्य तुंबकलसिंबलीधूमधनुष्यादि दृष्टान्ताः। // 488 //