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________________ 6 शतके उद्देशकः७ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 463 // शालि रधिकारः। सूत्रम् 247 वीसंजुगाईवाससयं दस वाससयाईवाससहस्सं सयं वाससहस्साईवाससयसहस्संचउरासीति वाससयसहस्साणि से एगेपुव्वंगे चउरासीती पुव्वंगसयसहस्साइंसे एगे पुव्वे, (एवं पूव्वे) 2 (एवं तुडिअंगे) तुडिए 2 अडडे 2 अववे 2 हूहुए 2 उप्पले 2 पउमे 2 नलिणे 2 अच्छणिउरे 2 अउए 2 पउए य 2 नउए य 2 चूलिया 2 सीसपहेलिया 2 एताव ताव गणिए एताव ताव गणियस्स विसए, तेण परं? ओवमिए। 5 से किं तं ओवमिए?, 2 दुविहे प० तंजहा पलिओवमे य सागरोवमे य, 6 से किं तं पलि.? से किं तं साग०? ॥सत्थेण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भेत्तुंच जं किरन सक्ला / तं परमाणुं सिद्धा वयंति आदिपमाणाणं॥१॥अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हियाति वा सण्हसण्हियाति वा उड्रेणूति वा तसरेणूति वा रहरेणूति वा वालग्गेइ वा लिक्खाति वा जूयाति वा जवमझेति वा अंगुलेति वा, अट्ठ उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सण्हसण्हिया, अट्ठ सण्हसण्हियाओ सा एगा उहरेणू, अट्ठ उद्दरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरुउत्तरकुरुगाणंमणूसाणं वालग्गे, एवं हरिवासरम्मगहेमवएरन्नवयाणं पुव्वविदेहाणंमणूसाणं अट्ठवालग्गासा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओसा एगा जूया, अट्ठजूयाओसे एगे जवमझे, अट्ट जवमज्झाओसे एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाणि पादो, बारस अंगुलाई विहत्थी, चउव्वीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्नउति अंगुलाणि से एगे दंडेति वा धणूति वा जूएति वा नालियाति वा अक्खेति वा मुसलेति वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं आयामविक्खंभेणं जोयणं उर्ल्ड उच्चत्तेणं तं तिउणं सविसेसं परिरएणं, से णं एगाहियबेयाहियतेयाहिय उक्कोसं सत्तरत्तप्परूढाणं संमढे संनिचिए भरिए वालग्गकोडीणं (ते), सेणं वालग्गे नो अग्गी दहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुत्थेजा नो परिविद्धंसेजा नो पूतित्ताए हव्वमागच्छेज्जा, ततोणं वाससए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावतिएणं मुहूर्तोच्छ्वासादिशीर्षप्रहेलिकान्तगणनीयकाल पल्यसागरादिउत्सर्पिण्यन्तोपमेयकालमान प्रश्राः / 2 // 463 //
SR No.600443
Book TitleVyakhyapragnaptisutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages578
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size39 MB
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