________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ 5 शतके उद्देशक:८ निर्ग्रन्थीपुत्राधिकारः। सूत्रम् 221 द्रव्याद्याऽऽ // 403 // देशेन खेत्तादेसेणं अज्जो! सव्वपो० सअड्डा 3 तहेवचेव, कालादेतंचेव, भावादे० अज्जो! तं चेव?, तएणं से नारयपुत्ते अण नियंठिपुत्तं अण एवंव०-दव्वादेसेणवि मे अजो! सव्वपो० सअड्डा ३नो अणड्वा ३खेत्ताएसेणविसव्वे पो० सअड्डा तह चेव कालादेवि, तं चेव भावादे वि। तए णं से नियंठीपुत्ते अण. नारयपुत्तं अण) एवं व०- जति णं हे अजो! दव्वादेसेणं सव्वपो० सअड्डा 3 नो अणड्डा 3, एवं ते परमाणुपो विसअड्डे३णो अणड्डे 3, जति णं अजो! खेत्तादेसेणवि सव्वपो० स० 3 जाव एवं ते एगपएसोगाढेवि पोग्गले सअड्डे समज्झे सपएसे, जति णं अजो! कालादेसेणं सव्वपो० सअड्डा० समज्झा सपएसा, एवं ते एगसमयठितीएवि पोग्गले ३तंचेव, जति णं अज्जो! भावादेसेणं सव्वपो० सअड्डा समज्झा सपएसा 3, एवं ते एगगुणकालएवि पोग्गले सअ०३तंचेव, अह ते एवं न भवति तोजं वयसि दव्वादेसेणविसव्वपो.सअ०३नो अणड्डा 3 एवं खेत्तादेसेणवि काला० भावादेसेणवि तन्नं मिच्छा, तए णं से नारयपुत्ते अण नियंठीपुत्तं अण० एवं व०- नो खलु वयं देवाणुप्पिया! एयमढे जाणामो पासामो, जति णं देवा० नो गिलायंति परिकहित्तए तं इच्छामिणं देवा० णं अंतिए एयमटुं सोच्चा निसम्म जाणित्तए, तए णं से नियंठीपुत्ते अण० नारयपुत्तं अण. एवंव०-दव्वादेसेणवि मे अज्जो सव्वे पो० सपदेसावि अपदेसावि अणंताखेत्तादे विएवं चेव कालादेवि भावादे वि एवं चेव // जे दव्वओ अप्पदेसे से खे० नियमा अप्पदेसे कालओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे भा० सिय सपदेसे सिय अपदेसे / जे खेत्तओ अप्पदेसे से द० सिय सपदेसे सिय अपदेसे का० भयणाए भा० भयणाए। जहा खेत्तओ एवं का० भा०॥जेदव्वओ सपदेसे से खे० सिय सपदेसे सिय अपसे, एवं का० भा०वि, जे खेत्तओ सपदेसे से द. नियमा सपदेसे का० भयणाए भा० भयणाए जहा दव्वओ तहा का० भा०वि // 3 एएसिणं भंते! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं खेत्तादेसेणं कालादे० भावादे० सपदेसाण य अपदेसाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, नारयपुत्ता! सव्वत्थोवा पो० भावादेसेणं अपदेसा कालादे० अपदेसा असंखेज्जगुणा दव्वादे० अपदेसा पुद्गलानां सार्धतासप्रदेशताऽऽदि तेषामल्पबहुत्वादि |प्रश्नाः / // 403 //