________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 295 // 2] उपक्रमः। शा० उपक्रमः। 1.3 प्रमाणम्। द्रव्यादिचतुर्भेदाः सूत्रम 384-391 थलयरपंचेंदिय० जाव गो०! जहण्णेणवि अंतो० उक्कोसेणवि अंतो० / पज्जत्तयगब्भूवक्वंतियचउप्पयथलयरपंचेंदिय० जाव (गो०)! जहं० अंतो० उक्को तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुत्तूणाई। उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते केवतिकालं ठिती पन्नत्ता? (पुच्छा),गो०! जह० अंतो० उक्को पुव्वकोडी / संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिदिय०(पुच्छा), जाव गो०!जह० अंतो० उक्को० तेवन्नं वाससहस्साइं। अपज्जत्तयसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिदिय० जाव गो०! जह(ण्णेणवि) अं० उक्कोसेण(वि) अंतो०। पज्जत्तयसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिदिय० जाव गो०! जह० अंतो० उक्को० तेवण्णं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई। गब्भवक्वंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिदिय० जाव गो० जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी। अपज्जत्तयगब्भवक्वंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदिय० जाव गो०!जह(नेणवि) अतो० उक्को(सेणवि) अंतो० / पज्जत्तयगब्भवक्वंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदिय० जाव गो०! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा / भूयपरिसप्पथलयरपंचिंदिय० जाव गो०! जह(ण्णेण) अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोड़ी।समुच्छिमभुयपरिसप्पथल० गो०! जह० अं० उक्को० बायालीसं वाससहस्साई। अपूज्जत्तयसमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदिय० जाव गोo! जहं० अंतो० उक्को० अंतो०। पज्जत्तयसंमुच्छिमभुयपरिसप्पूथलयरपंचें दिय० जाव गो०! जहं० अंतो० उक्को० बायालीसंवाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई। गब्भवक्वंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियाणंजाव गो०! जहं अंतो० उक्को० पुव्वकोडी। अपज्जत्तयगब्भवक्वंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदिय० जाव गो०! जह(नेणवि) अंतो० उक्को(सेणवि) अंतो पज्जत्तयगब्भवक्वंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदिय जाव गो०! जहं० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी अंतोमुहत्तूणा। (4) खयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते केवतिकालं ठिती पन्नत्ता? (जाव) गो०! जहं० अंतो० उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं / समुच्छिमखहयरपंचिंदिय० जाव गो०! जहं० पंचिंदिय / रुग। 0 इमानि चत्वारि पदानि न वर्तन्ते। 0 गो। कालप्रमाणम्। 1.3.3.2 विभा०नि०। औप० कालः। |1.3.3.2.1-2 ii.अापल्योपम सागरोपमयोरसुरकुमारादिशेष दण्डकानामायु:स्थिति द्वारेण कथनम्। // 295 //