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________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 236 // [1] उपक्रमः। शा० उपक्रमः। 1.2 नाम। ते, केवलमेकशेषतात्र विधीयत इत्येतावता पृथगुपात्त इति लक्ष्यते, तत्त्वंतु सकलव्याकरणवेदिनो विदन्तीत्यलमतिविजृम्भितेन ॥३०१॥गतं सामासिकम्। से किं तं तद्धियए? 2- कम्मे 1 सिप्प र सिलोए 3 संजोग 4 समीवओ५य संजूहें 6 / इस्सरिया ७ऽवच्चेण 8 य तद्धितणामंतु अट्ठविहं ।।९२॥सूत्रम् 302 // से किं तं कम्मणामे ? दोस्सिए सोत्तिए कप्पासिए सुत्तवेतालिए भंडवेतालिए कोलालिए णरदावणिए / से तं कम्मनामे॥ सूत्रम् 303 // से किं तं सिप्पनामे? 2 वत्थिए (तंतिए) तुण्णाए तंतुवाए पटकारे देअहे वरुडे मुंजकारे कट्ठकारे छत्तकारे वज्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे।से तूं सिप्पनामे // सूत्रम् 304 // से किं तं सिलोयनामे? 2- समणे माहणे संचतिही।से तं सिलोयनामे। सूत्रम् 305 // से किं तं संजोगनामे? 2- रण्णो ससुरए, रण्णो सालए, रण्णो सहए, रण्णो जामाउए, रन्नो भगिणीवती। से तं संजोगनामे // सूत्रम् 306 // से किं तं समीवनामे? 2 गिरिस्स समीवेणगरं गिरिणगरं, विदिसा 0वोच्यते। तद्धितए? 2 अट्ठविहे पण्णत्ते तंजहा। रुसमीअवो असंजूहो...10'तणहारए कट्ठहारए पत्तहारए' इत्यधिकम्। 9 इदं पदं न वर्तते। 0 इमे द्वे पदे न वर्तेते तथा 'तुण्णए' इति तथा देअहे वरुडे स्थाने' 'उएट्टे बरुडे' तथा 'लेप्पकारे सेलकारे', इत्यादि। व्वा। 9 अग्रे 'रण्णो जामाउए, रण्णो साले, रण्णो | भाउए, रण्णो भगिणीवई' इति रूपेण वर्तते। गिरिसमीवे तथा 'विदिसा समीवे'। सूत्रम् 302-312 1.2.10 दशनाम। 1.2.10.10 प्रमाणनाम। 1.2.10.10.4 भावप्रमाणं सामासिकादि। ii. तद्धितनाम। तस्याष्टभेद निरूपणम् / iii. धातुजं iv.निरुक्तिकंच // 236 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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