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________________ श्रीअनुयोगद्वारं मलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। | // 115 // 119 // भङ्गोपदर्शनतां बिभणिषुराह से किं तं संगहस्स भंगोवदंसणया?, 2 तिपएसिया आणुपुव्वी 1 परमाणुपोग्गला अणाणुपुव्वी 2 दुपएसिया अवत्तव्वए; 3 अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य 4, अहवा तिपएसिया य दुपएसिया य आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य५ अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य 6 अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गलाय दुपएसिया य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य 7, से तं संगहस्स भंगोवदसणया॥सूत्रम् 120 // // 93 // ) से किं तं समोयारे? 2 संगहस्स आणुपुव्विदव्वाई कहिंसमोयरंति?, किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयव्वेहिं समोयरंति? संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई आणुपुत्वीदव्वेहिं समोयरंति, नो अणाणुपुत्वीदव्वेहिं समोयरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिंसमोयरंति, एवं दोण्णिवि सट्ठाणे सट्ठाणे समोयरंति, सेतंसमोयारे॥सूत्रम् 121 // ( // 94 // ) / __ एयाए णमित्यादि। अत्रापि सप्त भङ्गास्त एवार्थकथनपुरस्सरा भावनीयाः। भावार्थस्तु सर्वः पूर्ववत्से तमित्यादि निगमनम् ॥सूत्रम् 120 // अथ समवताराभिधित्सया प्राह से किं तं समोयारे, इत्यादि। इदं च द्वारं पूर्ववनिखिलं भावनीयम् // 121 // अथानुगमं व्याचिख्यासुराह से किं तं अणुगमे? 2 अट्ठविहे पन्नत्ते, तंजहा- संतपयपरूवणया १दव्वपमाणं 2 च खेत्त 3 फुसणा य 4 / कालो 5 य अंतरं 6 भाग 7 भाव 8 अप्पाबहु नत्थि॥९॥सूत्रम् 122 // संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं किं अत्थिणत्थि?, नियमा अस्थि, एवं दोण्णिवि।सूत्रम् 123 / / O'संगहस्से'ति पदमधिकम् / ॐव्वी। 0 ग। 0 संगहस्से ति पदमधिकम् / ७वे / O // 1 // 9 // / [1] उपक्रमः। शा० उपक्रमः॥ 1.1 आनुपूर्वी। सूत्रम् 120-121 1.1.3.3 व्य द्रव्यानुपूर्व्या १.१.३.३.२आ सङ्गह०अनौ० द्रव्यानु० १.१.३.३.२आ. 4 समावतारः। १.१.३.३.२आ. 5 अनुगमः। सूत्रम् 122-123 १.१.३.३.२आ. 5 अनुगमः। सत्पदाद्यष्टद्वाराणि। // 115 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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