________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-४ // 1410 // 5. पञ्चममध्ययन कायोत्सर्गः, नियुक्तिः 1545-47 कायोत्सर्गे विधिः, दोषाश्च। नि०- चउरंगुल मुहपत्ती उज्जूए डब्बहत्थ रयहरणं / वोसट्ठचत्तदेहो काउस्सग्गं कहिजाहि // 1545 // नि०- घोडग लयाइखंभे कुड्डे माले असवरि वहु नियले।लंबुत्तर थण उद्धी संजय खलि (णे य) वायसकवितु // 1546 // नि०-सीसुक्कंपिय सूई अंगुलिभमुहा य वारुणी पेहा / नाहीकरयलकुप्पर उस्सारिय पारियंमि थुई॥१५४७ // पुव्वं ठंति य गुरुणो गाहा प्रकटार्था॥१५४४॥ चउरंगुल त्ति चत्तारि अंगुलाणि पायाणं अंतरं करेयव्वं, मुहपोतिं उज्जए त्ति दाहिणहत्थेण मुहपोत्तिया घेत्तव्वा, डब्बहत्थे रयहरणं कायव्वं, एतेण विहिणावोसठ्ठचत्तदेहो त्ति पूर्ववत्, काउस्सग्गंकरिज्जाहित्ति गाथार्थः // 1545 // गतं विधिद्वारम्, अधुना दोषावसरः, तत्रेदं गाथाद्वयं- घोडगे त्यादि आसुव्व विसमपायं गायं ठावित्तु ठाइ उस्सग्गे। कंपइ काउस्सग्गे लयव्व खरपवणसंगेणं // 1 // खंभे वा कुड्डे वा अवठंभिय ठाइ काउसगं तु / माले य उत्तमंगं अवठंभिय ठाइ उस्सगं // 2 // सबरी वसणविरहिया करेहि सागारियं जह ठवेइ / ठइऊण गुज्झदेसं करेहि तो कुणइ उस्सग्गं // 3 // अवणामिउत्तमंगो काउस्सग्गं जहा कुलवहुव्व। नियलियओविव चलणे वित्थारिय अहव मेलविउं॥ 4 // काऊण चोलपढें अविधीए नाभिमंडलस्सुवरिं। हिट्ठा य जाणुमित्तं चिट्ठई लंबुत्तरुस्सग्गं // 5 // उच्छाईऊण य थणे चोलगपट्टेण ठाइ उस्सगं / दसाइरक्खणट्ठा अहवा अन्नाणदोसेणं // 6 // मेलित्तु पण्हियाओ चलणे वित्थारिऊण बाहिरओ। ठाउस्सग्गं एसो बाहिरउद्धी मुणेयव्वो॥ 7 // अंगुढे मेलविउं वित्थारिय पण्हियाओ बाहिं तु / ठाउस्सग्गं एसो भणिओ अभितरुद्धित्ति / / 8 // कप्पं वा पढें वा पाइणिउं संजइव्व उस्सग्गं / ठाइ य खलिणं व जहा रयहरणं अग्गओ काउं॥ 9 // भामेइ तहा दिहिँ चलचित्तो वायसुव्व उस्सग्गे। छप्पइआण भएणं कुणई अपट्ट कविट्ठ व ॥१०॥सीसंपकंपमाणो जक्खाइट्ठव्व कुणइ उस्सगं / मूयव्व हुअहुअंतो तहेव छिज्जंतमाईसु // 11 // अंगुलिभमुहाओवि य चालतो तहय कुणइ उस्सगं। आलावगगणणट्ठा संठवणत्थं च जोगाणं / / 12 / काउस्सगंमि ठिओ // 1410 //