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________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-३ // 8 // आवश्यकनिर्युक्तेर्विषयानुक्रमः 1281 क्रमः विषयः सूत्रम् भाष्य: नियुक्तिः पृष्ठः / क्रम: विषयः सूत्रम् भाष्यः नियुक्तिः पृष्ठः 4.4.22 संवरेनन्दश्रीः। - - 1307 1261 (24-26)(213-215) 4.4.23 आत्मदोषोपसंहारे 4.5.1 तेतीसाए जिनदेवः। - 1308 1262 आसायणाहिं। 23(24) - - 4.4.24 विरक्तत्वे देवलासुतः। 1309 1263 4.5.2 अहंदाद्या४.४.२५ मूलगुणप्रत्याख्याने शत्रुञ्जयः, शातनाः(१९)। 24(25) 215-217 - 1286-90 उत्तरगुणप्रत्याख्याने धर्मघोषधर्मयशसौ - (213-215) व्युत्सर्गे प्रत्येकबुद्धाः (4), वृषभेन्द्रध्वजवलय 4.5.3 व्याविद्धादिकाः (14) / चूतवृक्षस्वरूपम्। - 207-214 1310-11 1264-73 श्रुताशातनाः। 25(26) - - 1292 / (205-212) 4.6 ॥अस्वाध्याय४.४.२६ ऋजुवक्रयोर्गुणदोषा: - 1312-13 1274 नियुक्तिः॥ - 218-2291321-14171292-1340 4.4.27 अप्रमादे मगधसुन्दरी, पत्ते (216-227) वसंतमासे' गीतिका। 1314-15 1274-75 | 4.6.1 अस्वाध्यायनियुक्तिप्रतिज्ञा संयमघातीपपातिकसादिव्यव्युद्हशारीरैः 4.4.28 लवालवे विजयः। - 1316 1275 परसमुत्थं पवधा (म्लेच्छराजदृष्टान्तः / 4.4.29 ध्याने पुष्पभूतिः। - 1317 1276 सोपनयः)। - - 1321-26 1292-94 4.4.30 मारणान्तिके धर्मरुचिः। 1277 4.6.2 महिकाभिन्नवर्षसचित्तरजांसि 4.4.31 स्नेहत्यागेजिनदेवः। 1319 1279 द्रव्यक्षेत्रकालभावै: त्याज्यानि, 4.4.32 प्रायश्चित्ते धनगुप्तः,आराधनायां सोपनयपचपुरुषदृष्टान्तः 218-219 मरुदेवी। 1320 1280 महिकादिस्वरूपम्। - (216-217) 1327-29 1294 ॥त्रयस्त्रिंशत्स्थानम् // 23-25215-217 - 1281-1291 4.6.3 संयमौपघातिके यतना।- - 1330 1297 1318 // 8 //
SR No.600438
Book TitleAvashyak Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages508
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size35 MB
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