________________ श्रीसूत्रकृताङ्ग नियुक्तिश्रीशीला वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः 2 // 639 / / श्रुतस्कन्धः 2 तृतीयमध्ययनं आहारपरिज्ञा, सूत्रम् 43-55 (678-690) बीजकाय चतुष्टयादिः कम्मनियाणेणं तत्थवुक्कमा रुक्खजोणिएहिं रुक्खेहिं अज्झारोहत्ताए विउद्भृति, ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरंजाव सारूविकडंसंतं, अवरेवियणं तेसिंरुक्खजोणियाणं अज्झारुहाणं सरीराणाणावना जावमक्खायं।सूत्रम् 47 // ( // 682 // ) __ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुक्कमा रुक्खजोणिएसु अज्झारोहेसु अज्झारोहत्ताए विउटुंति, ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा पुढवीसरीरं जाव सारूविकडंसंतं, अवरेवि यणं तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणंसरीराणाणावना जावमक्खायं ॥सूत्रम् 48 // ( // 683 // ) __ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा अज्झारोहजोणिएसु अज्झारोहत्ताए विउटुंति, ते जीवा तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारंति पुढविसरीरं आउसरीरं जाव सारूविकडं संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सरीरा णाणावन्ना जावमक्खायं // सूत्रम् 49 / / ( // 684 // ) ___ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा अज्झारोहजोणिएसु अज्झारोहेसु मूलत्ताए जाव बीयत्ताए विउद्धृति ते जीवा तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेंति जाव अवरेऽवि य णं तेसिं अज्झारोहजोणियाणं मूलाणं जाव बीयाणं सरीराणाणावन्ना जावमक्खायं / / सूत्रम् 50 // // 685 // ) __ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता पुढविजोणिया पुढविसंभवा जावणाणाविहजोणियासु पुढवीसुतणत्ताए विउटुंति, ते जीवा तेसिंणाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेंति जाव ते जीवा कम्मोववन्ना भवंतीतिमक्खायं ॥सूत्रम् 51 // ( // 686 // ) 808080