________________ श्रीस्थानाङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 848 // धायतिसंडगा णं मंदरा दसजोयणसयाई उव्वेहेणं धरणितले देसूणाई दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरिं दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पं० / पुक्खरवरदीवद्धगाणं मंदरा दस जोयण एवं चेव / / सूत्रम् 721 / / __ सव्वेविणं वट्टवेयद्धपव्वता दस जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं दस गाउयसयाइमुव्वेहेणं सव्वत्थसमा पल्लगसंठाणसंठिता, दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पं०॥सूत्रम् 722 // जंबुद्दीवे 2 दस खेत्ता पं० तं०- भरहे एरवते हेमवते हेरन्नवते हरिवस्से रम्मगवस्से पुव्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा // सूत्रम् 723 // माणुसुत्तरेणं पव्वते मूले दस बावीसे जोयणसते विक्खंभेणं पं०॥सूत्रम् 724 // सव्वेविणमंजणगपव्वता दस जोयणसयाइमुव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं उवरिंदस जोयणसताइं विक्खंभेणं पन्न०, सव्वेविणंदहिमुहपव्वता दस जोयणसताइं उव्वेहेणंसव्वत्थसमा पल्लगसंठाणसंठिता दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं पं०, सव्वेविणंरतिकरगपव्वता दस जोयणसताई उद्धं उच्चत्तेणं दसगाउयसताई उव्वेहेणंसव्वत्थसमा झल्लरिसंठिता दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पं०॥सूत्रम् 725 // ___ रुयगवरेणं पव्वते दस जोयणसयाई उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं उवरिं दस जोयणसताई विक्खंभेणं पं० / एवं कुंडलवरेवि / / सूत्रम् 726 // दस सुहुमे त्यादि, प्राणसूक्ष्म- अनुद्धरितकुन्थुः पनकसूक्ष्म- उल्ली यावत्करणादिदं द्रष्टव्यम्, बीजसूक्ष्म-व्रीह्यादीनां नखिका हरितसूक्ष्म- भूमिसमवर्णं तृणं पुष्पसूक्ष्म- वटादिपुष्पाणि अण्डसूक्ष्म- कीटिकाद्यण्डकानि लयनसूक्ष्म- कीटिकानगरादि दशममध्ययनं दशस्थानम्, सूत्रम् 716-726 प्राणादीनि भंगान्तानि सूक्ष्माणि, गंगादिसमगतनद्यः, भरतराजधान्यः तत्प्रव्रजिता नृपाश्च, इत्यादि // 848 //