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________________ श्रीआचाराङ्ग नियुक्तिश्रीशीला वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः१ // 15 // श्रुतस्कन्धः१ प्रथममध्ययन शस्त्रपरिज्ञा, | प्रथमोद्देशकः नियुक्तिः 20-27 वर्णवर्णान्तरोत्पत्तिः नि०- अंबटुग्गनिसाया य अजोगवं मागहा य सूया य / खत्ता वइदेहा वि य चंडाला नवमगा हुंति // 22 // अम्बष्ठ उग्रः, निषादः, अयोगवं मागधः सूतः क्षत्ता विदेहः चाण्डालश्चेति // 22 // कथमेते भवन्तीत्याहनि०- एगंतरिए इणमो अंबट्ठो चेव होइ उग्गो य / बिइयंतरिअ निसाओ परासर्व तं च पुण वेगे॥२३॥ नि०- पडिलोमे सुहाई अजोगवं मागहो य सूओ अ / एगंतरिए खत्ता वेदेहा चेव नायव्वा // 24 // नि०- बितियंतरिए नियमा चण्डालो सोऽवि होइ णायव्वो। अणुलोमे पडिलोमे एवं एए भवे भेया॥२५॥ आसामर्थो यन्त्रकादवसेयः, तच्चेदं ब्रह्मपुरुषः | क्षत्रियः पुरुषः ब्राह्मण:पुरुषः शूद्रः पुरुषः वैश्यपुरुषः | क्षत्रिय:पुरुषः शूद्रःपुरुषः वैश्यपुरुषः शूद्रपुरुषः वैश्या स्त्री शूद्री स्त्री शूद्री स्त्री निषादः वैश्या स्त्री क्षत्रिया स्त्री ब्राह्मस्त्री क्षत्रिया स्त्री ब्राह्मस्त्री ब्राह्मस्त्री अम्बष्ठः / उग्रः परासवो वा अ(आ)योगवम् मागधः | सूतः क्षत्ता वैदेहः / चाण्डालः एतानि नव वर्णान्तराणि // 23-24-25 // इदानीं वर्णान्तराणां संयोगोत्पत्तिमाहनि०- उग्गेणं खत्ताए सोवागो वेणवो विदेहेणं / अंबट्ठीए सुद्दीय बुक्कसो जो निसाएणं // 26 // नि०- सूद्देण निसाईए कुक्कुडओ सो उ होइ णायव्वो। एसो उ बिइयभेओ चउव्विहो होइ णायबो॥२७॥ अनयोरप्यर्थो यन्त्रकादवसेयः, तच्चेदंखत्ता (य) विदेहा (मु०)।® परासरं (मु०)। 0 बितियंतरे (मु०)। पारासरो (मु०)। 9 तच्च प्रथमचतुष्कोष्ठकादवगन्तव्यम् (प्र०)। // 15 //
SR No.600430
Book TitleAcharang Sutram Pratham Shrutskandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages586
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size38 MB
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