________________ भुवन चरित्र 10 // Too MEEM HERE व ब्राहि यत्प्रियं वत्स / तव संपादयाम्यहं // 7 // आह मोहनृपस्तहिं / निजाव्ययपुरान्मम // सहायान् / देहि संसारि-जीवांस्तानेवयैरयं // 8 // निर्मुल्यते समग्रोऽपि / शुक्लपक्षः सुखावहः // ततः कर्मनृपे. णाप्य-संव्यवहार्य पत्तनात् // 9 // दूरभव्या अभव्याश्च / दत्तास्तस्य सहायिनः / / मोहराजस्ततः सार्ध सर्वत्र विजभते // 10 // कुलकं // सैन्यैश्चारित्रधर्मस्य / वार्ता सा प्रहिता ततः // जातं सर्वला निरानंदं / निरुत्साहं गतक्रियं // 11 // दृष्ट्वैतत्तादृशं मंत्री / मद्दोधः प्राह भूपतिं // किमेवं स्थीयते देव / तिला | निश्चेष्टेः सत्ववर्जितः // 12 // आपत्सूपाय एवेह / महद्भिश्चिंत्यते सदा // पादप्रसारिका स्त्रोणां / कात राणां च शोभते // 13 // निरुपायो हि यस्तिष्टेत / प्रदीप्ते वहिना गृहे // सर्वस्वदाहं संत्यज्य / तस्यान्यत् किं प्रजायते // 14 // ग्रस्तोऽपि तमसा सूरः / किं विमुञ्चति विक्रमं // ग्रस्ताशेषस्तथैवासौ / किं | न द्योतयते जगत् // 15 // ततोऽवलंब धीरस्व-मुपायश्चित्यतामिह // राजा तमाह सर्वेऽपि / त्वय्युपाया व व्यवस्थिताः // 16 // यद्वत्स त्वं वदस्यत्र / तत्कुर्मः केवलं वयं // प्रणम्य खामिनं प्राह / सद्बोधो विनया-9 न्वितः // 17 // कर्मपरिणामपावें | गच्छामस्तर्हि सत्वरं // दग्धानां वहिना यस्मा-द्वहिरेव सदोषधं // 18 // न च शत्रुरिति ज्ञात्वा / नानुवृत्तिर्विधीयते // सर्वस्वं येन निर्दग्धं / सोऽपि ह्यग्निरुपास्यते // // 10 // EEEEEEEEE RIDE STE To Ela ODDO DO IMI MED