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________________ भविष्यदत्तचरित्रम् षष्ठो 38 XXXSXXXXXXXXXXXXXSEX सुव्रतावचनादेवं, श्रुतपञ्चमिका व्रतं / प्रपेदे कमलश्रीः सा, जैनधर्मपरायणा // 40 // पतिमासं जिनार्चाभिः, सविस्तरतया तथा / गुरूपदेशश्रवणैर्दानरुद्यापर्धनैः // 41 // साधर्मिकाणां वात्सल्यैरारराध महातपः / सहमाना सोपसर्ग, परीषहपराभवम् // 42 // तपसाऽनेन मत्पुत्रवियोगदुःखनिर्गमात् / निरन्तरायधर्मेण सिद्धिर्भवतु शाश्वती // 43 // चिन्तयन्ती मनस्येवं, सुव्रता जिनमन्दिरे / तां निनाय गुरुपान्ते, सुरूषां तेजसा भृतां // 44 // तयाऽपि पृष्टो मुनिराट्, स्वामिन्मे तनयो गुणी / क्व कथं परदेशेऽस्ति, समागन्ता नवाऽञ्जसा // 45 // मुनिर्बभाषे ज्ञानात्मा, भोगासक्तो सुतोऽस्ति ते / अत्राऽऽगत्यार्द्धराज्यस्य, स्वामी दैवाद्भविष्यति // 46 // अद्यापि योषितां भाग्याद्विवोढा प्रौढविक्रमः / तत्मभावेन राजीति, वक्ष्यसे नरनायकैः // 47 // श्रुत्वा तत्त्वज्ञवाचं सोल्लसतीच सती तदा / दीनानां ददती दानं, शुद्ध धर्ममसाधयत् // 48 // अथाऽन्यदाऽमान्पुवन्ती, बन्धुदत्तस्य वाचिकम् / अरोदीत पुत्रविरहात , पीडिता रूपवत्यपि // 49 // किमस्माकं राजकार्यैः, किंवा बहुधनैरपि / अस्माकं जीवने पुत्रे, परदेशमुपस्थिते // 5 // श्रेष्ठीर्धनपतिर्भूपं, प्रत्याचष्टे नरोत्तम ! / सुतद्वयं विदेशस्थं, मन्मनः शल्यकारणम् // 51 // अद्यापि न समाचारस्तयोः प्राप्तश्विरादपि / वृद्धेन धनलुब्धेन, मयैतदयशोर्जितम् // 52 // रूपवत्यपि संत्यज्य, गृहकर्माणि सर्वथा / उपायान् शतशो ज्ञातुं, सन्देशं सा प्रचक्रमे // 53 //
SR No.600427
Book TitleBhavishyadutta Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
PublisherMafatlal Zaverchand Gandhi
Publication Year1936
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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