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________________ भविष्यदरचरित्रम 134 अष्टादशमो विकारः अथ भविष्यदत्चरित्रे अष्टादशमोऽधिकारः श्रादपि जडादिन्दोरायुःस्थानाऽऽश्रयादिना, / महत्वं सेवया यस्य, देयादेष महोदयम् // 1 // अथाऽस्य संशयध्वान्तं, पराकमहर्मणिः / विमलो विमलाबोधाद भूपपाग्भवमभ्यधात् // 2 // ऐरावतक्षेत्रमध्ये, नगरेऽरिभयंकरे / मरुदेवो महीनेता, जेता दिग्वलयस्य सः॥३॥ स्वमेऽपि दर्शनादस्य, प्रणश्यन् गिरिकन्दरे / सम्भ्रान्तकान्तातनयो, दुर्ग वर्गो द्विषां जहौ // 4 // पत्नी यत्नवती शीले, निस्सपला स्वरूपतः / स्त्रीरत्नमिव सौन्दर्यात्तस्याऽभूद्रलमञ्जरी // 5 // बज्रोदरः परं बुद्धया, सोदरस्तत्र गोष्पतेः / मन्त्री मुलक्षणा तस्य, मियाऽभूत कमलेक्षणा // 6 // तयोर्मतिमती कीचिरिव स्फूर्ति वितन्वती / दुहिता कीर्तिसेनाऽसीद्राशीकृतगुणान्विता // 7 // पतिस्तस्याः शठो देव-दत्त उन्मत्तधीभृशम् / धुतादपुनात्कृतार्तचौर्यकार्ये धियं दधौ // 8 // भमन् भूतात्तवत पुर्या, नायाँ मेने रति न सः। वेश्यासु द्रव्यवश्याम, रिरंसुः पशुसन्निभः // 9 // छलेनाऽलंकृति तस्याश्चौर्येणाऽऽदाय स जवात् / धुतेनाऽगमयत्सर्व, व्यसनी भृशनीरसः // 10 // ततः सचीवपुत्री सा, भर्नुरूप्यदृषिता / भूषिताऽपि वरैर्वस्वाऽलङ्कारीघयत // 11 // अहो माग्जन्मसंबद्ध-दुरितस्य विजृम्भणम् / रूपे धने यौवने मे,पत्युश्चेष्टितमीदृशम् // 12 //
SR No.600427
Book TitleBhavishyadutta Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
PublisherMafatlal Zaverchand Gandhi
Publication Year1936
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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