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________________ सप्तदशमोऽ भविष्यदत्तचरित्रम् 127 धिकारः पातिव्रत्यधिया विधूय दुरितं, स्मेराम्बुजाक्षीद्वयं / साक्षीकृत्य गुरुं गुणैः सुरतरं, श्राद्धी बभूव ध्रुवम् // 53 // / इति श्रीभविष्यदत्तचरित्रे ज्ञानपञ्चमीमाहात्म्यपवित्रे महोपाध्यायश्रीमेघविजयगणिविरचिते षोडशोऽधिकारः अथ भविष्यदत्तचरित्रे सप्तदशमोऽधिकारः भगवद्वाक्सुधापान-रसी पादाम्बुजे शशी / जैवातृकेऽभूत्तादात्म्यात्स लक्ष्म्यै लक्ष्मणाजजः // 1 // अथाऽमाक्षीन्नृपः क्षि, विनयान्नम्रमस्तकः / तं मुनि हे प्रभो ! कस्मात्खेवरो मे सहायकः॥२॥ मरुद्वेगसुतो नाम्ना, मनोवेगो न संस्तुतो / मयि वात्सल्यवान् केन, कारणेनेह जन्मनि // 3 // व्याजहार मुनीन्द्रोऽपि, राजंस्त्वं पाग्भवं श्रृगु / न सम्बन्ध विना रागो, द्वेषो वा पाणिनां भवेत् // 4 // अत्रैव भरते वत्स-देशे सुजनभाजने / काम्पियनगरी, दानगरीयस्त्वेन विश्रुता // 5 // इन्द्रबाहुर्महाबाहु-भूशक्रश्चक्रिविक्रमः / यं पाहुर्विभवाद्भूम्यामवतीण सुरेश्वरम् // 6 // तस्य वश्यकरी कान्ता, नाम्नाऽस्ति गुणमञ्जरी / उन्मीलशीलपावित्र्याद्धरित्रीतलभूषणम् // 7 // मन्त्री त्रिदशमंत्रीव, विमलः शेनु वीमुखम् / आस्तिक्यधनधामाऽस्ति, नास्तिकाशयबाधकः // 8 //
SR No.600427
Book TitleBhavishyadutta Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
PublisherMafatlal Zaverchand Gandhi
Publication Year1936
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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