________________ भविष्यदत्तचरित्रम 126 षोडशोऽ धिकारः यतः-धूला सुहमा चेव, संकप्पारंभो य ते दुविहा / सावराहनिरवराहा साविक्खा चेव निरवक्खा // 39 // कन्याया गोस्तथा भूमेरलीकं कूटसाक्षिता / न्यासापहारः पश्चेति, नाऽसत्यानि समाचरेत् // 40 // स्तेनाहतपयोगाभ्यां, तथा कूटतुलादिना / नाऽदत्तमाददीत स्वं, श्राद्वो नाऽन्यस्त्रियं भजेत् // 41 // परिग्रहे परिमितं, कुर्याल्लोभजिगीषया / धार्य शुद्धधियाऽवश्यमित्यणुव्रतपश्चकम् // 42 // परिमाणं दिशां यावजीवं स्वस्याऽऽगमे गमे / भोगोपभोगयोर्योगे, नियम विदधीत सः॥४३॥ अनर्थदण्डं प्रज्ञाय, प्रत्याख्याति सुधीस्ततः / नाऽन्वेषयेत्कुर्कुटादि-युद्धं हिंस्रान्न पोषयेत् // 44 // गुणव्रतानि त्रीण्येवं, धत्ते भावादुपासकः / सामायिक तथा देशाऽवकाशिकमपि व्रतम् // 45 // भारम्भवजनात्साम्यचिन्तनाद्वाऽनुपालयेत् / पोषधं पापसन्तापौषधं पर्वदिनादिषु // 46 // पासुकाहारदानेन, संविभाग तथाऽतिथेः / मुनेर्गुण गुरोः कुर्याचातुर्यात्पात्रसजतेः॥४७॥ साधूपलक्षणा कार्य, यथाशक्ति मनस्विना / तत्साधर्मिकवात्सत्य, तीर्थभावसाधनम् // 48 // शिक्षाव्रतानि चत्वारि, तत्चान्मत्वा गृही जनः / द्वादशवतमान सम्पा, श्रद्धातः श्राद्ध उच्यते // 49 // देवोऽर्हन्वीतरागोऽर्थ्यः, सर्वज्ञः सर्ववासवैः / गुरुः साधुर्जगद्वन्धू-रत्नत्रि तयबन्धुरः // 50 // दयासरूपवान् धर्मस्तन्मूलं विनयादरः / तत्वत्रयी पीवाऽत्र, प्रकाशाय प्रजायते // 51 // एवं देशनया निपीय नृपतिर्वाच स वाचंयमाऽऽचार्यस्याऽयमतिर्वभार गृहिणां धर्म लसच्चेतसा // 52 //